11 March 2018

इन महिलाओ के काम पर गर्व करता है पूरा देश,जानें इनकी प्रेरित करने वाली कहानियाँ



दोस्तों ! अंतरिक्ष महिला यात्री कल्पना चावला, बॉलीवुड अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा, टेनिस स्टार सानिया मिर्जा, क्रिकेटर मिताली राज और नारी शिक्षा के लिए मिसाल बन चुकीं मलाला यूसुफजई समाज का सफल चेहरा हैं। इनकी सफलता की पूरी दुनिया मुरीद है।लेकिन एक क्षेत्र ऐसा है, जहां उनकी सशक्त उपस्थिति पहले से मौजूद नही रही है। वो क्षेत्र है खेल ऐसा सिर्फ कहने भर के लिए नहीं है ।
बल्कि बाकायदा इसके प्रमाण मौजूद हैं ,1986 में सिओल में हुए एशियाई खेलों का ही उदाहरण लिजिए। उस समय भारत ने केवल पांच स्वर्ण पदक जीते, जिनमें से चार पीटी उषा ने दिलाए,उन्होंने 200, 400 मी., 400 मी. बाधा दौड़, 4 गुणा 400 मी. रिले में स्वर्ण पदक भारत को दिलाए। इसके अलावा उन्होंने 100 मी. में रजत पदक भी जीता। भारत को एक अन्य स्वर्ण पदक कुश्ती में पहलवान करतार सिंह ने दिलाया। पीटी उषा की बदौलत भारत सिओल में सम्मान बचाने में सफल रहा। इन खेलों के बाद पीटी उषा भारत की गोल्डन गर्ल बन गयीं।
हमारी बेटियों की भी समाज और विश्व में अलग पहचान है। जिनके संघर्ष से सफलता की नई पौध तैयार हो रही है। शहर के ये कामयाब चेहरे युवाओं के प्रेरणास्त्रोत हैं। जिन्होंने कॉमनवेल्थ गेम्स और एशियाड में पदक जीते, हौसलों से एवरेस्ट की ऊंचाई भी नापी। चक्का फें क, भाला फेंक में कीर्तिमान बनाए। गीता के श्लोक सुनाकर मजहबी एकता का संदेश दिया, सौंदर्य प्रतियोगिता जीतकर विश्वविजेता बनीं। गांव की मिट्टी से निकलकर सफलता का आसमां छुआ।
आज (8 मार्च) को समूचा विश्‍व अंतरराष्‍ट्रीय महिला दिवस मना रहा है। महिलाओं में कानून के प्रति सजगता की कमी उनके सशक्तीकरण के मार्ग में रोड़े अटकाने का काम करती है। अशिक्षित महिलाओं को तो भूल जाइए, शिक्षित महिलाएं भी कानूनी दांवपेच से अनजान होने की वजह से जाने-अनजाने में हिंसा सहती रहती हैं। ऐसे में महिलाओं को कानूनी रूप से शिक्षित करने के लिए मुहिम शुरू करना वक्त की जरूरत बन गया है। जनसत्‍ता डॉट कॉम आपको बताने जा रहा है ऐसे ही कुछ कानून, जिन्‍हें जानना हर भारतीय महिला के लिए जरूरी है।
आज हम आप को उन बेटियों के बारे में बताएंगे जो की विश्वविजेता बन चुकी है ।
अलका तोमर : अलका तोमर एक भारतीय पहलवान है। भारत के राष्ट्रीय राष्ट्रीय महिला कुश्ती चैंपियन, 2006 में दोहा एशियाई खेलों में उन्हें कुश्ती (55 किलो फ्रीस्टाइल) में कांस्य पदक मिला। अलका तोमर ने गुआंगज़ौ के सीनियर रेसलिंग चैंपियनशिप में कांस्य भी प्राप्त किया ।
सीमा पूनिया :सीमा का जन्म हरियाणा के सोनीपत ज़िले के खेवड़ा गांव में हुआ था। इन्होंने अपनी 11 वर्ष की उम्र में ही अपना खेल का कैरियर शुरू कर दिया।एक भारतीय महिला डिस्कस थ्रोअर है। इनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 62.62 मी॰ (205.4 फीट) रहा है।
अन्नू रानी : जैवलिन थ्रोअर अन्नू रानी बहादुरपुर गांव की बेटी हैं। गांव की मिट्टी से निकली अन्नू रानी एशियन गेम्स में ब्रांज मेडलिस्ट हैं। एशियन गेम्स में पदक पाने वाली देश की दूसरी महिला हैं। नेशनल रिकॉर्ड तोड़कर नेशनल मेडलिस्ट हैं। एनआईएस पटियाला में इन दिनों तैयारी कर रही हैं।
वंदना कटारिया : वंदना कटारिया का जन्म 15 अप्रैल 1992, एक भारतीय मैदानी हॉकी खिलाड़ी हैं। यह मैदानी हॉकी के भारतीय राष्ट्रीय टीम में खेलती हैं। वंदना 2013 में देश में सबसे अधिक गोल करने में सफल रहीं थी। यह जूनियर महिला विश्व कप में कांस्य पदक विजेता बनी। यह स्पर्धा जर्मनी में हुआ था और इन्होंने पाँच गोल मर कर इस स्पर्धा में तीसरा सबसे अधिक गोल करने में सफल रहीं। यह अब तक 130 स्पर्धा में 35 गोल करने में सफल रही हैं।
नाजरीन : वर्ल्ड मुस्लिमा ब्यूटी कांटेस्ट की रनरअप बनी मेरठ की नाजरीन ने हिजाब की ओट से सौंदर्य प्रतियोगिता जीती। मेरठ की यह बेटी उन तमाम बेटियों के लिए प्रेरणा हैं जो परंपराओं की परिपाटी में बंध जाती हैं।
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