कोविड-19 के इस महामारीमे EPS95 के 65 लाख सेवानिवृत्त जेष्ठ नागरिक सदस्य को छोडकर 20 लाख करोड के इस पॅकेजमे स्वावलंबी भारतके हर स्तरके नागरिकको पंतप्रधान मा.श्री.नरेंद्र मोदी जीने कुछ न कुछ मदत दि है।मान्यवर कमांडर श्री.अशोक राऊत सर,श्री.पि.एन.पाटील सर,श्री.विरेंद्रसिंग राजावत सर,श्री.आंबेकर जी,श्री.सुभाष पोखरकर जी, और हर राज्यके सभी EPS95 NAC के मान्यवर पदाधिकारी आप गौर से मेरे इस विचार को पढिए।और कृपया ध्यान दिजिए।
नांदेड़ जिले के उपाध्यक्ष,श्रध्देय सरदार गंगन सिंह जी,आज हम सभी को छोडकर संसार से बिदा हो गए. यह एक बहुत ही दुःखद घटना है.आज संगठन ने एक वीर योद्धा, सक्षम, प्रतिभाशाली व निष्ठावान नेता खो दिया.उनका योगदान व संगठन के प्रति उनका समर्पण हमें हरदम याद रहेगा.संगठन उनके प्रति कृतज्ञ है. उनकी आत्मा को शांति व सभी परिजनों को यह दुःख सहन करने की शक्ति मिले, यही वाहेगुरु जी के श्रीचरणों में प्रार्थना.
ईपीएफ स्कीम के नियमों के अनुसार, कर्मचारी अपनी मासिक सैलरी का 12 फीसदी ईपीएफ स्कीम में कॉन्ट्रिब्यूट करता है. इसमें इतना ही कॉन्ट्रिब्यूशन उसकी कंपनी करती है. इस 24 फीसदी कॉन्ट्रिब्यूशन में कर्मचारी का 12 फीसदी और नियोक्ता का 3.67 फीसदी ईपीएफ अकाउंट में जाता है. बाकी का 8.67 फीसदी कॉन्ट्रिब्यूशन ईपीएस अकाउंट में जाता है. नियोक्ता की ओर से मासिक ईपीएस कॉन्ट्रिब्यूशन का कैलकुलेशन कर्मचारी की असली सैलरी पर होता है, अगर वह 15,000 रुपये से कम है. अगर यह इससे ज्यादा है तो उसे 15,000 रुपये पर कैलकुलेट किया जाता है. इस तरह ईपीएस में अधिकतम कॉन्ट्रिब्यूशन 1,250 रुपये महीने होता है.
कोविड-19 है तो भी हम भी स्वावलंबी भारत के जेष्ठ नागरिक है। बाकी हर स्तर के भारतीय नागरिक को कूछ ना कूछ मदत दि गयी है। दोस्तों हम स्वावलंबी भारतके नागरिक नही है क्या? हमारा भी कुछ हक बनता है कि नही। हमने क्या गुन्हा किया है? मा.प्रधानमंत्री महोदय ने देश के हर स्तरके भारतीय नागरिक को हमे छोडकर कुछ ना कुछ मदत दि है। ये घनघोर अन्याय और नाइन्साफी है। कृपया मुझे आपकी राय और सविस्तर प्रतिक्रिया का इन्तजार रहेगा। आप सभी जरुर पोस्ट करे।साथही प्रधानमंत्री महोदय श्री.नरेंद्र मोदी जी को इस बारेमे जरुर जरुर लिखे।
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