प्रथम प्राध्यान्य देकर 67 लाख ई पी एस 95 के वयोवृद्ध निवृती धारकों को तुरंत न्याय देने की प्रार्थना ,बिनंती पत्र
प्रति,
मा.
मुख्य न्यायाधीश ,सर्वोच्च न्यायालय,
भारत सरकार,
नई दिल्ली
प्रथम प्राध्यान्य देकर 67 लाख ई पी एस 95 के वयोवृद्ध निवृती धारकों को तुरंत न्याय देने की प्रार्थना ,बिनंती पत्र
विषय --दिनांक 4 -8-2020 को सभी वयोवृद्ध को समय पर पेंशन दो और सभी प्रकार की सुविधा प्रदान हो (Supreme court directs States to provide support senior citizens.!)
संदर्भ :--आप को भेजे गए पत्र क्रमांक २२०७बी/२०दि.२२.०७.२०२० के अनुरूप
मा. मुख्य न्यायमूर्तीजी,
उपरोक्त विषय एवंम सन्दर्भिय पत्र के अनुसार, मै निवृत कर्मचारी (1995)राष्ट्रीय समन्वय समिती, नागपुर का राष्ट्रीय महासचीव इस नाते आपसे नम्र प्रार्थना एवंम बिनंती करता हु कि, दिनांक 4-8-2020
इलेट्रॉनिक मीडिया ,सोशल मीडिया द्वारा जनहित में प्रसिद्ध वृतपत्र के जरिए प्राप्त मालूमात के अनुसार हम देशके करीब करीब 10 से 15 करोड वृद्ध निवृती धारकों की और से हम, आप सभी न्याय देवताओं का सस्नेह अभिवादन करते है।क्रिपया इसे स्वीकृत करे यह हमारी नम्र प्रार्थना एवंम धन्यवाद।,
ई पी एस 95 की निर्मिति यह सामाजिक दायित्व के अनुरूप संन 1952 के Provident Fund And Miscellaneous Act के तहत न्याय मांग:--
महोदय,
ई पी एस 95 की निर्मिति यह सामाजिक दायित्व है और इसे निभानेकी जिम्मेदारी केंद्रसरकार, राज्यसरकार और औद्योगिक कंपनियों की है।आज के आर्थिक, सामाजिक, वैश्विक महामारी(कोविड 19) में वयोवृद्धो का दायित्व कैसा हो यह हमारी सर्वोच्च अदालत, न्यायालयों द्वारा समय समय पर स्वयंम सज्ञान लेकर एवंम न्यायालय के दायरेंमे केसेस के माध्यम से हम सभी वयोवृद्ध एवंम निवृती धारकोंको न्याय मिला है और आनेवाले निकट भविष्य में भी निरंतर हमे न्याय मिलने की पूरी पूरी आशा एवंम विश्वासभी है।
जिस प्रकार सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार दिनांक 4 अगस्त 2020 को केन्द्र सरकार, राज्यसरकारको समय पर पेन्शन देने का, आर्थिक मदत ,वृद्धाश्रमोमें रहने वाले वृद्ध निवृती धारकों को कोविड19 के वैश्विक महामारी में तुरत मदत करने का आदेश दिया है। इस से देशके सभी वृद्ध निवृती धारक चाहे वो संघटित या असंघटीत क्षेत्र मे काम करने वाले हो या कृषी क्षेत्र या कोई भी क्षेत्रमे कामकरने वाले कार्मिक क्यो न हो हमे न्याय मिल रहा है। न्याय मिला है,वह बहुतही सराहनीय है। इस का हम सभी वयोवृद्ध निवृती धारक सर्वोच्च न्यायालय के आभारी है और आभारी रहेंगे। लेकिन उसके साथ साथ हम ई पी एस 95 के 67 लाख निवृत्ती धारक आपसे जल्द न्याय (Suo-motu)की मांग भी करते हैं।
आजभी 24 बर्षो से केवल रु 500 /-से 3000/- पेन्शन मिल रही है:--
आज हमें केवल रु 500 /-से 3000/-पेन्शन मिल रही है। यही पेन्शन कही सालों तक रु 40/- थी वह भी बढ़ा ने के लिये संघर्ष करना पड़ा और आज भी हमारी आर्थिक शारिरीक शक्ति नही होते हुये भी प्रयास करना पड़ रहा है।आजभी हमें बड़े दुःख से ,दुर्भाग्य से है ऐसा लाचारी का जीवन व्यतीत करना पड रहा है।इस कारन वश हम निवृती धारक वृद्धाश्रम में भी जा नहीं सकते। आज तो हमे घर मे ही रहना पड़ रहा हैं।कोरोना महामारी मे हमारे करीब करीब २०%से२५% बच्चों की रोजी रोटी छीन गयी है और जा रही है। इस कारण भी हम सुख से जीवन व्यतीत नहीं कर पा रहे है। अभी तो हम सरकार के मदत बिना जी भी नहीं सकते। हमारी इस दारुन परिस्थितियों में आप ही हमे न्याय देकर मदत कर सकते है। इस लिये यह गुहार है,बिनंती है।
सर्वोच्च न्यायालय में केस प्रलंबित है :--
सर्वोच्च न्यायालय में करीब करीब १.५ सालसे पुनर्बिचार याचिका भी प्रलंबित है और यही कारण बताकर हर समय सरकार हमे टालती रहती हैं ।हमे सर्वोच्च न्यायालय द्वारा आदेश होते हुये भी पुनर्विचार याचिका दायर करके मिले हुये न्याय से भी वंचित रख रहे हैं। उसका निपटारा जल्दी हो इसलिए आपको भी हमारे समन्वय समिति द्वारा दिनांक २२.०७.२०२० को पत्र भी दिया है सर क्रिपया वह भी अवलोकित करे और न्याय दे ।
जिनका वेतन कम था और वेतन सिलिग के कारण कम कपात हुई हैं यह भी एक कारण :--
जिनका वेतन कम था और वेतन सिलिग के कारण कम कपात हुई हैं।उसके लिये कानून में दुरस्ती हो इसलिए भगतसिंग कोशियारी कमेटी अहवाल सदन मैं संन 2013 से प्रलंबित है। न्यूनतम पेंशन कमसे कम रु.3000/-हो और उसमें महंगाई भत्ता जोडा़ जाय इस मांगको नजर अंदाज करके कोईभी आवश्यकता न होते हुए हाय एम्पाँवर कमेटी स्थापित करके विलंब कियाँ जा रहा है।यह अहवाल भी शासन के पास होने के बावजूद अभीतक लागू नही हुवा ऐसी स्थिति मे हम जीवन कैसा व्यतीत करे, यह हमारे सामने संकट है। इसलिए सर्वोच्च न्यायालय से नम्र प्रार्थना एवंम बिनंती है कि सुमोटो से इस विषय को संज्ञान लेकर हमे न्याय दे यह नम्र प्रार्थना एवंम बिनंती। हमारा जीवन अब बहुत कम बचा है।
अभी तक करीब करीब 6 से 7 लाख निवृत्त वयोवृद्ध स्वर्गलोक प्राप्त कर चुके है। इस कारण वश प्रथम प्राथमिकता देकर हमे तुरंत न्याय देने की प्रार्थना है।बिनंती पत्रमे यदि कुछ गलती हुई तो क्षमा करे सर।
धन्यवाद।
आपका विश्वासु,
स्वाक्षरी(s d),
(प्रकाश दी पाठक )
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