महाराष्ट्र के प्रिय मुख्यमंत्री माननीय उद्धव भाऊ ठाकरे साहब जीवन भर. P. S1 पेंशनरों ने गरीबी खाई है, अपना दुर्भाग्य बताने के लिए सबसे पहले कांग्रेस सरकार में महंगाई दर पर कभी भुगतान नहीं किया गया और पेंशन सरकार द्वारा लागू की गई योजनाओं को पूरी तरह से धोखा दिया गया है, केंद्र सरकार जो दोनों पेंशन योजनाओं को हटाती है, लेकिन सिंगल स्टाफ को उनकी सजा क्यों मिलनी चाहिए? वैसे हमारा लोकतंत्र कहता है कि सरकार गलत हो तो सरकार या प्रशासन पर आरोप नहीं लगाया जा सकता, लेकिन आज की महंगाई में वो गरीब पेंशनभोगी अपने जीवन और स्वाभिमान की रक्षा कैसे कर सकते हैं?
जिनके पास केंद्र सरकार की गलत नीतियों में कुछ भी गलत नहीं है वो 65 लाख पेंशनभोगी क्यों देते हैं या तोड़ते हैं फिर भी केंद्र सरकार के पापों की सजा पेंशनरों को झेल रही है ।
वो पेंशनभोगी अभी भी सरकार से न्यूनतम पेंशन 7500 + मुद्रास्फीति भत्ता और चिकित्सा सुविधाएं मांग रहे हैं लेकिन सरकार हमेशा पेंशनभोगी से परहेज कर रही है रोज मर रही है लेकिन सरकार जाग नहीं रही है...
शिवसेना खुद कहती है 80 % सामाजिक कार्य और 20 % राजनीति तो मेरा सवाल है माननीय मुख्यमंत्री महाराष्ट्र राज्य शिवसेना की जिम्मेदारी नहीं है या हमारे बुजुर्ग 65 लाख ई. पी. पेंशनरों को भारतीय राजनीतिक पार्टी के रूप में बुलाओ या एक के रूप में भारतीय और पेंशनरों का यह राजनीतिक सम्मान, सामाजिक सम्मान नहीं है तो क्या उन्हें मानवता के रूप में न्याय मिलेगा?
संदर्भ में लोकतंत्र की भूमिका निभाएगी शिवसेना समीकरण 80 % सामाजिक कार्य और 20 % राजनीति जोड़ रहा है...
आज माननीय शिवसेना प्रमुख हिन्दू हृदय सम्राट काई बालासाहेब ठाकरे जिन्दा होते तो बहुसंख्यक सरकार के पास आते उद्धव भाऊ हम गरीब पेंशनभोगी आपसे यही उम्मीद करते हैं ।
महाराष्ट्र राज्य के माननीय मुख्यमंत्री श्री से मेरा हार्दिक निवेदन है । उद्धव भाऊ ठाकरे कृपया इन गरीब पेंशनरों को अपना पैसा दे जो ईपीएफओ में पड़ा है और आज की महंगाई के अनुसार 7500 + DA+ चिकित्सा सुविधाएं भी प्राप्त करें जो दूसरों के अनुसार अधिकार है.
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