आदरणीय श्री डॉक्टर मनमोहनसिंह सर आपको मेरा सादर प्रणाम
सर मै सुदर्शन भगवानसिंह बैस एक ई.पी.एस ९५ पेंशनर का बेटा. सर मै आपसे ई.पी.एस ९५ पेंशनर्स की वर्तमान स्थितयों से अवगत करवाना चाहता हूँ और साथ ही साथ भारत सरकार और आदरणीय सर्वोच्च न्यायालय के हम गरीब ६५ लाख ई.पी.एस ९५ पेंशनर्स की और से अपनी नाराजगी व्यक्त करना भी चाहता हूँ.
सर फॅमिली पेंशन स्कीम १९७१ लानेवाली भी भारत सरकार और उसे पूरी योजना के तहत लागु करवानेवाली भारत सरकार फिर ई.पी.एस ९५ में परिवर्तित करनेवाली भी भारत सरकार.
सर जब आपने १९९१ में नये आर्थिक सुधार लाए पर उस आर्थिक सुधार कहो या अर्थव्यस्था को गति कहो उससे अन्य क्षेत्रों को काफी लाभ हुआ, विदेशी निवेशों पर की सारी पाबंदियों को हटा के देश का आर्थिक स्तर भी ऊँचा हुआ उसके लिए हम सब भारतवासी आपके ऋणी भी है और हमे आपके उपर सदैव गर्व भी रहेगा पर सर हम ई.पी.एस ९५ पेंशनर्स को उस योजना से कोई भी लाभ नही मिला अन्य क्षेत्रों की तरह ?
सर क्या हमारा देश के अर्थव्यस्था को मजबूत करवाने में कोई भी योगदान नही मिला क्या ??
सर हम ६५ लाख ई.पी.एस ९५ पेंशनर्स भारत सरकार की गलत रणनीतियों की सजा नही भुगत रहे है क्या?
सर ३०-३५ साल सर्विस करके भी अपना खून पसीना लगा के भी पूरी मेहनत और इमानदारी का यही सिला देगा क्या देश हमे पिछले १५ वर्षो से मात्र १००० से लेकर २५०० तक ही हम पेंशन पा रहे है ?
सर हम आत्मनिर्भर क्यों नही हमने देश का एनपीए तो बढ़ाया ना?
इस जन्म में मिलेगा हमे न्याय/इंसाफ/जस्टिस???
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