12 September 2020

EPS95 तारीख पे तारीख की असली वजह क्या ? सवाल पूछते EPS 95 पेंशनर्स

 

किसी भी प्रकरण में जल्द सुनवाई हो वो इस बात पर निर्भर नहीं होती कि प्रकरण को किस category का code रजिस्ट्री कार्यालय ने आबंटित कर दिया है,बल्कि जब पहली बार आप अपनी याचिका प्रस्तुत करते है,उसके साथ एक और interim एप्लीकेशन urgent hearing की प्रार्थना सहित प्रस्तुत की जाती है जिसमें बताया जाता है कि क्यूँ उनके मामले की जल्द सुनवाई की जाय।
कोर्ट तभी ऐसी अंतरिम एप्लीकेशन को जल्द सुनवाई हेतु स्वीकृत देती है,जिसमें उन्हें लगता हो कि यदि इस पर तुरंत सुनवाई न हुए तो आवेदक को ऐसी क्षति हो सकती है जिसे कोर्ट बाद में चलकर किसी अपूरणीय क्षति को रुपये पैसे के रूप में क्षतिपूर्ति नहीं करवा पाएगी।लेकिन ये तभी संभव होता है जब आवेदक के वकील को न्यायमूर्ति के सामने उपस्थित होने का अवसर मिले,ये न्यायमूर्ति के आदेश से ही किसी केस की सुनवाई में प्राथमिकता दी जाती है,रजिस्ट्री कार्यालय के आदेश से नहीं।रजिस्ट्री कार्यालय का काम आए प्रकरणों को केटेगरी प्रदान करना और urgent application की गंभीरता को देखते हुए उसे न्यायमूर्ति के सामने प्रस्तुत करने की पहल होती है।हमारे प्रकरण में urgency का सबसे बड़ा आधार था कि सारे petitioner उम्रदराज है,अस्वस्थ रहते है,और मृत्यु की कगार पर न केवल खड़े है,बल्कि अनेक आवेदक तो न्याय मिलने के पहले ही स्वर्ग सिधार चुके हैं।
मैं नहीं समझता कि किसी ने हमारी ओर से ऐसी मार्मिक स्तिथि से माननीय न्यायालय को अवगत कराए जाने की कोशिश भी की हो,वरना कोर्ट इतने असंवेदनशील नहीं है कि कहती कि जिसे मरना है मरे, अपनी बला से और ये कह कर अर्जेंट hearing application खारिज कर देती।जब कोई इस असहाय स्तिथि की जानकारी कोर्ट को न समझाए तो कोर्ट मामले को सामान्य ही समझेगी,उसे सपना तो आया नहीं।क्या आपने सुना है कि किसी भी पेंशनर्स की urgent hearing की application किसी भी उच्च न्यायालय या खुद सर्वोच्च न्यायालय ने खारिज कर दी हो ?
कोर्ट में आपके प्रकरण में "दिनांक पे दिनाँक"दोष लगाना उचित नहीं प्रतीत होता है,कमियां हम में और हमारे द्वारा नियुक्त विद्वान अधिवक्ताओं का है,जिन्हें अपना सिर्फ प्रोफेशनल हित ही नजर आता है,हजारों पेंशनरों की पीड़ा,असमर्थता, नजर नहीं आती।या हमारे देश में हम पेंशनरों को ऐसा ऐसा कोई काबिल वकील नहीं मिल पा रहा है जो रातों रात आपके प्रकरण को सुनवाई करवा सके,और आदेश भी दिलवा सके,या कम से कम रजिस्ट्री आफिस से अपने केस को जजों की आसंदी तक पहुंचा सके।
यदि ऐसा नहीं करवा सकते तो रोने धोने की क्या जरूरत है,जब आपका नंबर आ जायेगा तब तक इन्तेजार करते रहिए,देखने वाली बात सिर्फ इतनी ही होगी इसमें कि आपका नंबर पहले कहाँ से आता है,न्याय के मंदिर से या मंदिर के ऊपरवाले भगवान से।
सर्वोच्च न्यायालय में किसी केस की category कोड की वास्तविकता ये है कि देश में विद्यमान जितने भी कानून है,उनके अंतर्गत आने वाले विषय हैं,सभी को Supreme court में categorise कर एक कोड no. आबंटित किया है जो 101 (labour matters)से आरंभ हो कर 4701 RTI u/s 14 के matters में आ कर समाप्त हो जाती है।
Pension matters का अलग से कोई कोड नहीं अल्बत्ते Service matter के अंदर ही Retiral benefit के मामलों के लिए category code 601 दिया गया है।अपने केस को कोड 0111 प्रोविडेंट labour category के स्थान पर Pension का मामला Retiral benefit है तो 601 दिया जाना चाहिए था service matter के अंतर्गत है न की Labour matter के अंतर्गत।
जो भी हो पर ऐसा कोई निर्देश तो दिखाई नहीं दिया है कि पेंशन के मामले में प्रकरणों की सुनवाई प्राथमिकता के आधार में रखी जाय। यदि ऐसा है कि labour matter से पहले service matter की सुनवाई में प्राथमिकता होती है तो ये कार्य अधिवक्ताओं का है कि रजिस्ट्री आफिस की गलती को सुधारने की पहल करें, ताकि Computerised hearing date को वास्तविक सुनवाई तिथि में स्थान मिल सके और तारीख पर तारीख में कमी लाई जा सकती है.

A Post by Anil Kumar Namdeo

1 comment:

  1. Pensoners are very badly Neglected everywhere ,In view of above, it seems that the person/persons Who is/are dealing the Pensoners case either not taken it seriously or have no knowledge of law of Pensoners case reg. as mentioned above the court is not careless, something wrong in placement of the case,or is not taken seriously,it is a very mind touching and serious case, where 65Lakh Pensoners and their Families are entangled,at least from Humanitarian ground this case Must be solved without delay,and by this I personally prayPr to the Sections /Persons concerned t do the Needful without delay.
    Satyamev Jayate,Jay Hind,Jay BHARAT.

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