EPS 95 Pensioners : EPFO की शर्तों को पूरा करें तो करें कैसे ? Unexempted और Exempted संस्थानों के पेंशनरों
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एक विचित्र प्रकार की समस्या पिछले कई दिनों से निरंतर सुनने में आ रही है कि जिन पेंशनरों की कतिथ unexempted संस्थाएं पूर्णतः बंद हो चुकी हैं,उनके पेंशनर्स को भी सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का लाभ EPFO द्वारा नहीं दिया जा रहा है,कारण सिर्फ इतना है,कि पेंशन का हिसाब किताब पेंशनरों को अपने संस्था से ला कर देना होगा।
विवाद तो EPFO का exempted संस्थानों के पेंशनरों के साथ रहा है,और वो विवाद सर्वोच्च न्यायालय में चल भी रहा है,इसका unexempted वालों से कुछ भी लेना देना नहीं है।
अब बंद हो चुकी unexempted संस्थानों की मैनेजमेंट का कोई आता पता ही नहीं है तो पेंशनर्स बेचारे उन्हें कहाँ से ढूंढ कर लाये और EPFO की शर्तों को पूरा करें तो करें कैसे ?
यहाँ ये तथ्य निर्विवादित है कि unexempted संस्थाओं के सेवानिवृत्त या ऐसी बंद हो चुकी संस्थानों के कर्मचारियों के वेतन से की गई पेंशन फण्ड और भविष्य निधि अंशदान की कटौती का हिसाब किताब सीधे सीधे EPFO के अधीन ही रहता है,सारे विवरण EPFO के रिकॉर्ड में दर्ज होते आये हैं,ऐसे में उनके दावे जो माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश दिनाँक 4/10/2016 के अनुपालन में कोई विवाद नहीं है,उक्त आदेश EPFO द्वारा मान्य भी है,तो फिर प्रशासनिक खानापूर्ति के नाम पर इस विशेष वर्ग के पेंशनरों को विधि मान्य हक से वंचित रखना न्यायसंगत प्रतीत नहीं होता।
दुर्भाग्य की बात है कि इस बात को लेकर कोई भी सामूहिक प्रयास ऐसे पेंशनरों की ओर से न्यायालय का दरवाजा खटखटाया गया है न ही EPFO के समक्ष किसी भी संगठन द्वारा कोई चर्चा किये जाने की कोई जानकारी सामने नहीं आई है।इनका मामला न तो न्यूनतम पेंशन में इजाफा करने का है,न ही हायर पेंशन प्रदान करने का।इनका तो सिर्फ अंशदान के आधार पर निर्धारित कर देय पेंशन के भुगतान का मामला है,जिसे न्यायालय से लेकर सरकार,EPFO तक पहले से मान्य कर चुकी है।
इस मामले को मुझे लगता है कि NAC, राष्ट्रीय संघर्ष समिति ही वो मंच है जो समस्या का निराकरण कर सकती है।अतः आग्रह है कि इस मुद्दे को भी NAC अपने एजेंडा में शामिल कर श्रम मंत्री जी से EPFO को समुचित निर्देश दिलाने की पहल करें जिससे अनेक उपेक्षित पेंशनर्स को उनका हक दिलाया जा सके।
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