नमस्कार मित्रो
पेंशन में बढ़ोतरी न होने की वजह पिछली सरकारों की लापरवाही ही है।
1995में बने कानून के अनुसार हर दो वर्ष में रिवाइज होना था लेकिन आज तक नहीं हुआ।
हमारी पेंशन के लिए कम्पनी मालिक 8,33% सिर्फ 15000₹की पेमेटं का ही जमा करते हैं उससे ऊपर की पेमेटं का नहीं। जबकि रिटायरमेटं के समय हमें 30000,50000₹तक पेमेटं मिली,इसी आधार पर पेंशन मिलना चाहिए, ऐसा केरल हाई कोर्ट व सुपिमकोर्ट ने पहले ही फैसला दे दिया लेकिन ईपीओ ने सुप्रीम कोर्ट में पिटीसन दायर करके फैसला रुकवा दिया है।
सरकारी कर्मचारियो को उनके रिटायरमेटं के समय पर मिलने वाली पेमेटं के आधार पर पेंशन मिलती है इसलिए उनकी पेंशन अधिक।
ईपीओ का कहना है कि पेंशन देने के लिए पैसा कम्पनी मालिक जमा करे या सरकार दे,कम्पनी मालिक तो देने से रहे क्योंकि कयी कम्पनियों के मालिक बदल गए हैं अब सरकार को ही इसके लिए पैसे का इंतजाम करना होगा, सरकार पर दबाव सासंद व विधायकों को ही बनाना चाहिए क्योंकि समस्या गम्भीर है।
हेमा मालिनी जी व कुछ और लोगों ने मोदी जी से बात की है ,कोई परिणाम नहीं मिला।
सरकार को एक कानून और बनाना चाहिए कि जब कोई भी नौकरी के लिए जाता है सरकारी हो या प्रायवेट उसकी पेमेटं का 10%उसके माता-पिता के ज्वाइंट एकाउंट में जमा होगें।लोग करोड़ों कमाते हैं लेकिन माता-पिता को देने में तकलीफ होती है।
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