4 May 2021

EPS95 हम सभी देश के वरिष्ठ नागरिक, ईपीएस 95 पेंशनर हैं

EPS95 हम सभी देश के वरिष्ठ नागरिक, ईपीएस 95 पेंशनर हैं

 

EPS95 राष्ट्रीय संघर्ष समिति, गुजरात


 प्रेस नोट: -


 हम सभी देश के वरिष्ठ नागरिक, ईपीएस 95 पेंशनर हैं.

 भारत के 65 लाख ईपीएस 95 पेंशनर्स जिन्होंने रु.  417 / -, रु 541 / - और रु.1250/-  प्रति माह  30 से 35 वर्ष के सेवाकाल में पेंशन फंड में जमा करवाए, जिसका आज का मूल्य रु. 15 से 20 लाख है, वह सामाजिक सुरक्षा के लिए केवल 500 से 3000 रुपये पेंशन प्राप्त कर रहे हैं।

 दो वृद्ध लोगों के लिए इस राशि में सम्मानपूर्वक रहना बिल्कुल असंभव है।

 दिनांक  7.01.1996 को ईपीएफओ ने एक अधिकृत विज्ञापन प्रकाशित किया था जिसमें कहा गया था कि ईपीएस 95 पेंशन सरकारी पेंशन से 10% या अधिक लाभदायक होगी।  साथ ही ईपीएफओ ने हर तीन साल या उससे पहले मूल्य सूचकांक के साथ पेंशन का मूल्यांकन करने का वादा किया था. तब वादा किया गया था कि कर्मचारियों की पूंजी उनकी मृत्यु के बाद उनके नॉमिनी को वापस कर दी जाएगी.  हालांकि, ईपीएफओ द्वारा किसी भी वादे का पालन नहीं किया गया.

 2008 में एकतरफा रूप से पूंजी पर प्रतिलाभ वापस ले लिया गया. 2014 में उन्होंने पेंशन की गणना के आधार 12 महिने औसत वेतन को 60 महीने के औसत वेतन में बदल दिया, जिससे पेंशन की राशि कम हो गई. 

न्यूनतम पेंशन के मुद्दे पर वर्ष 2013 में भगतसिंह कोशियारी समिति की रिपोर्ट के अनुसार 3000 या उससे अधिक व उसे मंहगाई से जोड़ने की शिफारिस की.हालांकि, इस संबंध में कुछ भी लागू नहीं किया गया है।

 वर्ष 2014 में माननीय प्रधान मंत्री ने न्यूनतम पेंशन रु 1000 /- की घोषणा की लेकिन  अधिकांश पेंशनर्स अभी भी उस के लाभ से वंचित हैं.

 EPFO लगातार EPS95 पेंशनरों पर अन्याय कर रहा है।

 दिनांक  4.10.2016 के निर्णय में सर्वोच्च न्यायालय ने वास्तविक वेतन पर उच्च पेंशन देने का आदेश दिया. EPFO ने भी इस फैसले को स्वीकार कर लिया था और एक परिपत्र दिनांक 23.3.2017 को जारी किया लेकिन  एक 'यू' मोड़ लेते हुए, उन्होंने दिनांक 31.5.2017 को एक अंतरिम एडवाइज़री जारी की, जिसमें पेंशन पाने वाले तथाकथित Exempted संस्थानों के  पेंशनभोगियों को अदालत में जाने के लिए मजबूर कर दिया.

 इस अन्याय से लड़ने के लिए देश भर के ईपीएस के 95 पेंशनरों ने कमांडर अशोक राऊत के नेतृत्व में "राष्ट्रीय संघर्ष समिति" के नाम से एक संगठन बनाया है.


 देश के 27 राज्यों में संगठन सक्रिय है.

 इस अन्याय से लड़ने के लिए NAC  ने एड़ी से चोटी तक जोर लगाया, दिल्ली में बड़े बड़े मोर्चो और धरना सहित पूरे देश में हजारों आंदोलन किए.


NAC नेताओं ने 4 मार्च 2020 को माननीय प्रधान मंत्री से मुलाकात की. मा. प्रधानमंत्री जी  ने NAC नेताओं को युद्धस्तर पर इस मुद्दे को हल करने का आश्वासन दिया.

 तब से एक साल से अधिक समय बीत चुका है लेकिन कुछ नहीं हुआ.इसलिए, वृद्ध पेंशनरों और उनके परिवार में जबरदस्त गुस्सा / नाराजगी देखी जा रही है.

 असहाय वरिष्ठ नागरिक बड़ी उम्मीद के साथ मा. प्रधानमंत्री की ओर देख रहे हैं क्योंकि निर्णय उनके जीवन को गरिमा के साथ प्रभावित करेगा.

 इसलिए, NAC ने उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम भारत में  क्षेत्रीय सम्मेलन आयोजित करने का निर्णय लिया है.

 पश्चिम क्षेत्र का सम्मेलन दिनांक 19 मार्च  2021 को चोटीला (गुजरात)  में होने जा रहा है.

 इस मेगा इवेंट में महाराष्ट्र, गोवा व गुजरात राज्यों के पेंशनर्स भाग लेंगे.

 हमारी मांगें इस प्रकार हैं: -

 1. न्यूनतम मासिक पेंशन रु .7500 व उस पर मंहगाई भत्ता दिया जाए.

 2. ईपीएफओ की दिनांक 31 मई 2017 की Interim Advisory को वापिस लिया जाए व EPS 95 पेंशनरों को मा. सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार उच्च पेंशन का विकल्प दिया जाए.

 3. आयुष्मान भारत योजना के तहत सभी ईपीएस 95 पेंशनरों और उनके जीवन साथी को मुफ्त चिकित्सा सुविधा प्रदान की जाए.

 4.ईपीएस 95 सेवानिवृत्त कर्मचारी जो ईपीएस 95 योजना के सदस्य नहीं हैं, उन्हें ब्याज के साथ योगदान की वसूली करके और उन्हें उचित बकाया राशि की अनुमति देकर पूर्व पोस्ट सदस्यता की अनुमति दी जानी चाहिए अन्यथा उन्हें पेंशन के रूप में रु. 5000 / - प्रति माह निर्धारित किया जा सकता है.


(बी.के. चौहान)

प्रांतीय सचिव, गुजरात

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