12 December 2020

Karnataka team have met one MP by name Mr Y.Devendrappa in regards EPS 95 Pension Demand

 Karnataka team have met one MP by name Mr Y.Devendrappa in regards EPS 95 Pension Demand


Today our Karnataka team have met one MP by name Mr Y.Devendrappa, of Ballery and got one letter addressed to our Prime Minister.

Thanks and congratulations to Apple team and the team lead by Sri Ramakanth.
We are pleased to share yet another successful efforts by Apple Karnataka.
Our Ballari Apple members met Hon. MP Shri Y Devendrappa of Ballari and discussed our EPS'95 issues and could collect EPF'95 supportive letters addressed to
Hon. PM Shri Narendra Modi ji.

We on behalf of Apple Karnataka, we thank and appreciate  the efforts and persistence of our Ballari members in getting such letters.

R Nargund
Team Apple Karnataka

पेंशन में बढ़ोतरी न होने की वजह पिछली सरकारों की लापरवाही ही है EPS 95 Pension

पेंशन में बढ़ोतरी न होने की वजह पिछली सरकारों की लापरवाही ही है EPS 95 Pension 


 नमस्कार मित्रो


पेंशन में बढ़ोतरी न होने की वजह पिछली सरकारों की लापरवाही ही है।

1995में बने कानून के अनुसार हर दो वर्ष में रिवाइज होना था लेकिन आज तक नहीं हुआ।

हमारी पेंशन के लिए कम्पनी मालिक 8,33% सिर्फ 15000₹की पेमेटं का ही जमा करते हैं उससे ऊपर की पेमेटं का नहीं। जबकि रिटायरमेटं के समय हमें 30000,50000₹तक पेमेटं मिली,इसी आधार पर पेंशन मिलना चाहिए, ऐसा केरल हाई कोर्ट व सुपिमकोर्ट ने पहले ही फैसला दे दिया लेकिन ईपीओ ने सुप्रीम कोर्ट में पिटीसन दायर करके फैसला रुकवा दिया है।

सरकारी कर्मचारियो को उनके रिटायरमेटं के समय पर मिलने वाली पेमेटं के आधार पर पेंशन मिलती है इसलिए उनकी पेंशन अधिक।

ईपीओ का कहना है कि पेंशन देने के लिए पैसा कम्पनी मालिक जमा करे या सरकार दे,कम्पनी मालिक तो देने से रहे क्योंकि कयी कम्पनियों के मालिक बदल गए हैं अब सरकार को ही इसके लिए पैसे का इंतजाम करना होगा, सरकार पर दबाव सासंद व विधायकों को ही बनाना चाहिए क्योंकि समस्या गम्भीर है।

हेमा मालिनी जी व कुछ और लोगों ने मोदी जी से बात की है ,कोई परिणाम नहीं मिला।

सरकार को एक कानून और बनाना चाहिए कि जब कोई भी नौकरी के लिए जाता है सरकारी हो या प्रायवेट उसकी पेमेटं का 10%उसके माता-पिता के ज्वाइंट एकाउंट में जमा होगें।लोग करोड़ों कमाते हैं लेकिन माता-पिता को देने में तकलीफ होती है।

11 December 2020

EPS 95 Pensioners Message : आदरणीय साथियों नमस्कार

EPS 95 Pensioners Message : आदरणीय साथियों नमस्कार

 आदरणीय कोहली जी इपीएस 95 के पेंशनर्स के लिए पिछले चार साल से अपने अथक प्रयास से अपने सूचना के अधिकार के ज्ञान द्वारा सहयोग कर रहे हैं वह अतुलनीय है..... लेकिन अभी आई उनकी पोस्ट कि ईपीएफओ 23.3.2017 के आदेश को वापस लेने के लिए तरीका खोज रहा है.....

मैं उनके सामने तो इस प्रकार के विषय में अल्पज्ञानी हूँ लेकिन जो कुछ भी जानकारी हे उसके अनुसार यह बताना चाहता हूं कि यह असंभव है...कोई भी सरकारी विभाग चार साल पहले निकाले गए अपने ही उस आदेश को वापस नहीं ले सकता जिसे 25000 से अधिक पेंशनर्स पर लागू कर चुका है..... 

उक्त आदेश को वापस लेने का अर्थ उन सभी 25000 पेंशनर्स को दी गई बढ़ी हुई पेंशन को वापस रिकवरी करने की प्रक्रिया भी शुरू करना जिनमें अति वयोवृद्ध ओर बेसहारा भी हो सकते हैं जिनके पास कुछ भी नहीं बचा हो... उनसे कैसे वसुली करेंगे  .... ओर कई पेंशनर्स कानूनी विशेषज्ञ भी हो सकते हैं (जिनमें वह खुद भी है) जो अदालतों में जा सकते हैं... ओर फिर से एक अलग विषय पर लंबी थका देने वाली कानूनी लड़ाई...

हाँ इससे यह जरूर हो सकता है कि सरकार/ईपीएफओ मूल विषय को कुछ हद तक भटकाने में सफल हो जाए लेकिन क्या सुप्रीम कोर्ट ऐसा होने देगा... क्या वरियता के आधार पर पुरानी याचिकाओं पर फैसला नहीं देगा.... क्या अभी तक बीसियों हाइकोर्ट के फैसलों को वह नकार देगा... 

मैरे खयाल से यह मामले को लटकाने के प्रयास से ज्यादा कुछ नहीं है.... यहाँ यह भी देखना होगा कि देश का कानून... जिसमें लिमिटेड एक्ट 1963 भी किसी भी है जिसमें किसी भी प्रक्रिया के लिए समय सीमा निर्धारित की गई है वह क्या कहता है.....

 अत:में आदरणीय प्रवीण कोहली सर सहित सभी प्रबुद्ध जनों ओर हमारे NCR ओर अन्य याचिकाकर्ताओं के पदाधिकारियों से निवेदन करुंगा की इस विषय पर विचार करें ओर हमारी याचिका 1134/2018 सहित अन्य याचिकाओं पर तुरंत सुनवाई पर प्रयास करें... जिससे लाखों पेंशनर्स को राहत के साथ रोज नित नई बातों से छुटकारा मिल सके! धन्यवाद🙏

8 December 2020

National Level "Sampark Maha-abhiyan" of NAC EPS 95 pension holders, brothers and sisters


National Level "Sampark Maha-abhiyan" of NAC EPS 95 pension holders, brothers and sisters

 National Agitation Committee: -

*National Level "Sampark Maha-abhiyan" of National Agitation Committee (NAC): -*
Respected EPS 95 pension holders, brothers and sisters,
As we all know that thousands of agitations were successfully carried out by all of you bravehearts from Tehsil level to the National level, Delhi in the last 4 years to get the demands of EPS 95 pension holders sanctioned.
On the appeal of the Hon. Labor Minister, all the agitations have been withdrawn by the NAC. Only the chain fast at NAC Headquarters, Buldhana (Maharashtra) has started uninterrupted since last 715 days.
On date 4.3.2020 Hon Hema Malini ji, Member of Parliament, Mathura, accompanied our delegation In a meeting with the Hon Prime Minister .
The Hon Prime Minister assured us that all our demands would be fulfilled. He even gave directions to the the concerned Minister. Now, the eyes of 65 lakh old pension holders eyes are on The Hon. Prime Minister. Thereof, We sincerely hope that our main demands will be fulfilled soon.
The Government is likely to approve our demands till or before the upcoming budget session.
Several agencies have their roles in this tedious process, including the Parliamentary Committee on Labor.
We are aware that our pensioner siblings are leaving us and this world day by day. *Therefore, the "Nationwide Contact Campaign" has been started at the national level* by our NAC to get our demands approved at the earliest.
The chart of responsibilities of this mass campaign is being published NOW.. Kindly participate in this grand campaign and make it successful by handling your part of responsibilities effectively according to the chart.
yours,
Commander Ashok Raut,
National President,
National Agitation committee.
"Contact Campaign" chart is forwarded herewith.







राष्ट्रीय संघर्ष समिति (NAC) का राष्ट्रीय स्तर का "संपर्क महा अभियान,EPS 95 पेंशन धारकों की मांगों को मंजूर करवाने हेतु

 राष्ट्रीय संघर्ष समिति (NAC) का राष्ट्रीय स्तर का "संपर्क महा अभियान,EPS 95 पेंशन धारकों की मांगों को मंजूर करवाने हेतु


National Agitation Committee:-
*राष्ट्रीय संघर्ष समिति (NAC) का राष्ट्रीय स्तर का "संपर्क महा अभियान"

😘
आदरणीय EPS 95 पेन्शन धारक भाइयो व बहनों,
जैसा कि हम सभी जानते है कि EPS 95 पेंशन धारकों की मांगों को मंजूर करवाने हेतु आप सभी के द्वारा पिछले 4 वर्षों में तहसील स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर, दिल्ली तक हजारों आंदोलन सफलतापूर्वक सपन्न किए गए.
मा. श्रममंत्री जी की अपील पर NAC द्वारा सभी आंदोलन वापिस ले लिए गए है केवल NAC के मुख्यालय बुलढाणा (महाराष्ट्र) का क्रमिक अनशन पिछले 715 दिनों से अखंडित शुरू है.
दिनांक 4.3.2020 को मा. हेमा मालिनी जी, संसद सदस्य मथुरा की अगुवाई में मा. प्रधानमंत्री जी के साथ NAC प्रतिनिधियों के साथ हुई मीटिंग में मा. प्रधानमंत्री जी द्वारा आश्वासन व संबंधित मा. मंत्री महोदय जी को दिशा निर्देश देने के बाद से ही 65 लाख वृद्ध पेंशन धारकों की निगाहें मा. प्रधानमंत्री पर टिकी हुई हैं कि हमारी मुख्य मांगे अब शीघ्र ही पूरी होगी.
आनेवाले बजट सत्र तक या उसके पहले हमारी मांगों को सरकार द्वारा मंजूर किए जाने की संभावना दिखाई दे रही है.
इस प्रक्रिया में पार्लियामेंट्री कमेटी ऑन लेबर सहित कई घटकों की अपनी अपनी भूमिकाएं हैं.
हमें विदित ही है कि हमारे पेंशन धारक भाई बहन दिन प्रतिदिन हमें छोड़कर संसार से बिदा हो रहे हैं इसलिए NAC द्वारा हमारी मांगों को शीघ्रातिशीघ्र मंजूर करवाने हेतु,
*राष्ट्रीय स्तर पर "महासंपर्क अभियान"शुरू किया गया है.*
महासंपर्क अभियान का चार्ट प्रसारित किया जा रहा है. कृपया चार्ट अनुसार अपनी अपनी जवाबदारी प्रभावी रीति से सम्हालते हुए इस महाअभियान में सहभागी होकर इसे सफल बनाए.
आपका अपना,
कमांडर अशोक राऊत,
राष्ट्रीय अध्यक्ष,
राष्ट्रीय संघर्ष समिति
🙏🏻🙏🏻🙏🏻
"संपर्क महाअभियान"चार्ट

👇🏻






7 December 2020

Gurumukh singh Sahl President NCR देश के 67 लाख EPS95 के बात सोचते हैं तो यहाँ भी आम और खास दो श्रेणियां दिखाई देती है,कुछ अत्यंत गरीब तो कुछ अत्यंत सक्षम

  Gurumukh singh Sahl  President NCR देश के 67 लाख EPS95 के बात सोचते हैं तो यहाँ भी आम और खास दो श्रेणियां दिखाई देती है,कुछ अत्यंत गरीब तो कुछ अत्यंत सक्षम


श्री Gurumukh singh Sahl
President NCR के नाम खुला पत्र
आप किसान आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं,अच्छी बात है,किन्तु कृषी कानून का मुद्दा जितना अच्छा एक आम किसान समझ सकता है कोई दूजा नहीं।लेकिन आम किसान कम विशेष किसान ही उनकी पैरवी करते नजर आ रहे हैं ऐसा मैं नहीं बल्कि लोग कह रहे हैं और TV में लाखों लोगों के लिए जिस प्रकार खाने पीने, सोने ओढेने के इंतेजाम दिखाया जा रहा है,शायद किसान जिसे में गरीबो की श्रेणी में रख कर देखते हैं,
ये सब उनके कूबत के बाहर ही होना चाहिए।हम जब देश के 67 लाख EPS95 के बात सोचते हैं तो यहाँ भी आम और खास दो श्रेणियां दिखाई देती है,कुछ अत्यंत गरीब तो कुछ अत्यंत सक्षम। औसतन सभी वरिष्ठ नागरिक शारीरिक आर्थिक रूप से न केवल कमजोर हैं बल्कि इस दुनियां से कुछ करने की कगार पर हैं,अनेक तो विदा ही ले चुके हैं।
पिछले चार सालों से सभी पेंशनर्स अपनी अपनी सीमित समार्ध्य के अनुसार अपनी पेंशन की जायज मांगो के लिये सड़को पर ही नहीं बल्कि कोर्ट में भी संघर्ष करते चले आ रहे हैं,हमें तो अब तक किसी का समर्थन नहीं मिला।न देश के अंदर से न देश के बाहर से,जितने भी विपक्ष के राजनैतिक दल हैं उनमें से एक ने भी सामने आ कर हमारा समर्थन करना तो दूर किया,अपनी नजरें करम की इनायत करना की जरूरत महसूस नहीं की।
जिस प्रकार पूरे देश की किसानों की हालत है उससे बत्तर तो पूरे देश के EPS95 के सेवानिवृत्त,वरिष्ठ नागरिकों की है।हम अपने ही पेंशनर्स समाज का समर्थन नहीं दे पा रहे हैं,किसान भाइयों के समर्थन में बिना बुलाये ही चल पड़े हैं।मैं नहीं कहता कि आप गलत कर रहे हैं,अच्छा है समर्थन दीजिए,पर ऐसा है तो सिर्फ सोशल मीडिया में समर्थन देने से किसान आंदोलन को बल मिलता है तो मैं भी आपके साथ खड़ा हूँ।
क्या EPS95 के पेंशनर्स का जिसकी अगुवाई NCR के मंच से आप कर रहे हैं,पूरे देश के पेंशनर्स को चलो दिल्ली का आव्हान कर सकते हैं,क्या सभी नहीं तो सिर्फ दिल्ली और आसपास के पेंशनर्स के एक दस्ते को आंदोलन स्थल पर जा कर अपनी उपस्तिथि दर्ज करवा सकते हैं।
यदि ये संभव है तो आपकी सोशल मीडिया पर समर्थन किसान भाइयों के आंदोलन के लिये वास्तविक और सार्थक होगी,आप NCR जैसी संस्था के माननीय अध्यक्ष हैं जिसमें 50 के लगभग दूसरे पब्लिक सेक्टर,निजी,सहकारी,संस्थाओं के लाखों लोग जुड़े हुए हैं,ऐसे में आपके अकेले समर्थन का किसान भाइयों के आंदोलन पर तो कोई अधिक प्रभाव या उपयोग तो होने से रहा।
यदि आपका ये समर्थन व्यक्तिगत है तो ठीक है,जिसे आपकी बात समझ आती हो तो ठीक,पर आप किसी पर अपनी राय तो नहीं थोप सकते हैं न,आपकी इस पोस्ट के तो यही मायने लोग समझ रहे हैं जैसे कि आपके एक प्रबुद्ध मित्र श्री Satish Prasad जी ने इन्ही कारणों के चलते आपकी दोस्ती से विलग होने का मन बना रहे हैं।मेरे तो मानना है कि दोस्तों में लाख मतभेद हो मनभेद नहीं होना चाहिए।आप बहुत ही अनुभवी, समझदार व्यक्ति हैं
आदरणीय,इसलिए इस मामले में मुझे आपको किसी प्रकार की सलाह देने की जरूरत नहीं है।हाँ यदि हो सके तो किसान आंदोलन के किसी भी मंच से पेंशनरों को सरकार से न्याय दिलवाने पर समर्थन प्राप्त कर सकें,तो आपके इस प्रयास की सर्वत्र प्रशंसा जरूर होगी,इतना तो तय है।कमांडर अशोक रॉउट की तरह अन्य पेंशनरों के मंच से देश व्यापी आंदोलन चलाया जा रहा है,क्या उन्हें पेंशनर्स समाज में रहते हुए ऐसा ही समर्थन दे सकते हैं भले व्यक्तिगत तौर ही सहीं जैसा कि आप किसान भाइयों के समर्थन में आगे आये हैं ?
आपके उक्त समर्थन पर बाकि मित्रों की राय क्या होगी,ये तो तभी ज्ञात हो सकेगी,जब वो कुछ कहें,सभी ऐसे मित्रों का दिल से स्वागत ही करूंगा।क्षमा चाहूंगा वक्तव्य जरा लंबा हो गया मित्रों,फुर्सत में हो तो थोड़ा समय अपने पेंशनर समाज के लिए जरूर निकालें, यही विनम्र आग्रह है मित्रों.

6 December 2020

EPS -95 Pensioners 8-12-2020 को भारत बंद का सक्रिय समर्थन

 

EPS -95 Pensioners  8-12-2020 को भारत बंद का सक्रिय समर्थन

विषय :-- 

8-12-2020 को भारत बंद का सक्रिय समर्थन

महोदय,  

नए कृषि कानूनों पर केंद्र सरकार की जिद क्यों? श्रम कानून में 4 कोड बिल को लागू करने पर जोर क्यों?

हम 67.8 लाख ईपीएस 95 सेवानिवृत्त होने के मामले में भी यह सवाल पूछते हैं। केंद्र सरकार इस तथ्य के बावजूद कानून में संशोधन न करने की सरकार की नीति का विरोध कर रही है कि 25 साल तक बिना किसी सामाजिक सुधार के महामारी जैसे महामारी के दौरान लगभग 1.80 लाख सेवानिवृत्त लोगों की मृत्यु हो गई है। 

8-12-2020 को, भारत बंद सेवानिवृत्त कर्मचारी (1995) राष्ट्रीय समन्वय समिति, नागपुर देश भर में सक्रिय समर्थन की घोषणा कर रही है।

मोदी सरकार ने 50 करोड़ कृषि और 50 करोड़ औद्योगिक मजदूरों को जबरन:

मोदी सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ राजधानी दिल्ली में सैकड़ों किसान यूनियन और लाखों किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। पुलिस द्वारा आंदोलनरत किसानों का उत्पीड़न, जब वे दिल्ली आ रहे थे, अत्यधिक निंदनीय है। दिनांक 2-12-2020। महाराष्ट्र टाइम्स में "म्यूचुअल ट्रस्ट की आवश्यकता"

 शीर्षक और 30 नवंबर, 2020 को अखबार पढ़ने के बाद यह देखा गया है कि केंद्र सरकार "सरकारी पिता" की भूमिका में नहीं है, बल्कि किसानों और औद्योगिक श्रमिकों के दुश्मन की भूमिका में है। अगर देश के किसानों का कहना है कि केंद्र सरकार के ये नए कृषि कानून किसानों के लाभ के लिए नहीं हैं, तो उन्हें समझ नहीं आता कि सरकार को इन कानूनों पर जोर क्यों देना चाहिए। सरकार इन कानूनों को किसानों और श्रम क्षेत्र पर जबरन थोप रही है और कह रही है कि यह आपके हित में है।

यह वास्तव में विचार करने योग्य है कि सरकार वह क्यों नहीं कर रही है जो किसानों और श्रमिकों के लिए फायदेमंद है और क्यों सरकार जबरन थोप रही है जो किसानों और श्रमिकों के लिए फायदेमंद नहीं है। इन कानूनों को जबरन लागू करने के पीछे मोदी सरकार का कोई छिपा हुआ एजेंडा है या नहीं, इस पर संदेह होना स्वाभाविक है।

अब, इस नए कृषि कानून के तहत, किसानों की भूमि और श्रम का सामाजिक शोषण करने और उद्योगपतियों के गले में अधिक मुआवजा डालने का लगातार प्रयास किया जा रहा है। हो रहा है और अभी तक सरकार मुख्य उद्देश्य कानून को लागू करना प्रतीत होता है और यह धारणा बढ़ रही है क्योंकि असंतोष जारी है। दूसरा कारण यह है कि मोदी सरकार ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया है।

इसके लिए, कृषि जिंसों को उचित मूल्य देकर कृषि वस्तुओं के MSP (न्यूनतम मूल्य) को दोगुना करना आवश्यक है, लेकिन चूंकि ऐसा नहीं किया जा सकता है, इसलिए सरकार का MSP को नष्ट करने का एक चतुर इरादा होना चाहिए। लेकिन अगर एमएसपी नष्ट हो जाता है, तो किसान बेसहारा हो जाएंगे और व्यापारियों को लूट लेंगे।

एमएसपी को नष्ट करके, सरकार किसानों की बहुत कम सुरक्षा को नष्ट करने की कोशिश कर रही है। यह किसानों के साथ बड़ा अन्याय है।

             यह सरकार के लिए एक विनम्र प्रार्थना और बयान है कि सरकार को किसानों के दुश्मन की भूमिका में नहीं होना चाहिए, लेकिन माता-पिता की भूमिका में होना चाहिए और इन कानूनों को तुरंत रद्द करना चाहिए, यदि वे किसानों और औद्योगिक श्रमिकों के लिए फायदेमंद नहीं लगते हैं।

EPS-95 Pensioners दिनांक 8-12-2020.च्या भारत बंदला सक्रिय पाठिंम्बा,निवृत्त कर्मचारी (1995) राष्ट्रीय समन्वय समिति

 EPS-95 Pensioners दिनांक 8-12-2020.च्या भारत बंदला सक्रिय पाठिंम्बा 


कृपया प्रकाशनार्थ सादर||
प्रति,
संपादक,/संचालक,
देशभर दैनिक सर्ववृतपत्र व वृत वाहिन्या
भारत /नागपुर.

विषय :-- दिनांक 8-12-2020.च्या भारत बंदला सक्रिय पाठिंम्बा.
महोदय,    
नवीन कृषी कायद्यांचा केंद्र सरकारचा अट्टाहास का ? तसेच कामगार कायद्यात सुद्धा 4 कोड बिल लागू करण्याचा अट्टहास का? 
हा प्रश्न आम्हा 67.8 लाख  ई पी एस 95 निवृत्ति धारकांच्या निवृत्ति धरकान बाबतीत सुद्धा  केन्द्र सरकार सतत 25 वर्षा पासून कोणतीही सामाजिक सुधारना न करता कोरोना सारख्या महामारीच्या कालातही  जवळ जवळ 1.80  लाख निवृृृत्ति धारक स्वर्गवासी झाले असून सुद्धा कायद्यात दुरूस्ती न  करण्याच्या सरकार च्या  या नितिचा निषेध म्हणून दिनांक 8-12-2020 ला भारत बंदला निवृत कर्मचारी (1995) राष्ट्रीय समन्वय समिति, नागपुरचा देशभरात सक्रिय पाठिंम्बा जाहिर करीत आहे.
मोदी सरकार ची जबरदस्ती 50 कोटी कृषि व 50 कोटि औद्योगिक कामगारान :--
मोदी सरकारच्या तीन नवीन कृषी कायद्यांच्या विरोधात राजधानी दिल्लीत शेकडो शेतकरी संघटनेचे आणि लाखो शेतकऱ्यांचे आंदोलन सुरू आहे. या आंदोलनाला देशाचे पोशिंदे शेतकरी दिल्लीस येत असताना त्यांच्यावर पोलिसांकडून केंद्र सरकारने जो छळ केला तो अतिशय निंदनीय आहे.
 दिनांक    २-१२-२०२० च्या. महाराष्ट्र  टाइम्स मध्ये " परस्पर विश्वासाची गरज "  हे संपादकीय व दिनांक 30 नोव्हे.2020 चे वृतपत्र वाचल्यावर असे लक्षात येते की केंद्र सरकार   "सरकार मायबाप " च्या भुमिकेत नसून ते शेतकऱ्यांच्या व औद्योगिक कामगार दुष्मणा च्या भुमिकेत आहे. देशातील शेतकरी जर म्हणतात की केंद्र सरकारचे हे नविन शेतीविषयक कायदे शेतकऱ्यांच्या फायद्याचे नाही तर सरकारने ह्या कायद्यांचा अट्टाहास का धरावा हे कळत नाही. 
सरकार बळजबरीने हे कायदे शेतकऱ्यांवर व कामगार क्षेत्रात बलजोरी ने लादत आहेत आणि सांगत आहेत की हेच तुमच्या  फायद्याचे आहे. शेतकऱ्यांना व कामगाराना  जे फायद्याचे वाटते ते सरकार कां करीत नाही आणि शेतकऱ्यांना व कामगाराना  जे फायद्याचे वाटत नाही ते सरकार बळजबरीने कां लादत आहे , ही खरंच विचार करण्यासारखी गोष्ट आहे. या कायद्यांच्या बळजबरीने अंमलबजावणी करण्यामागे मोदी सरकारचा काही छुपा अजेंडा तर नाही ना अशी शंका येणे स्वाभाविक आहे.
आता या नवीन कृषी कायद्याच्या आडून शेतकऱ्यांच्या जमिनी व कामगारश्रमांचे  सामाजिक शोषण करुन उद्योगपतींच्या घशात जास्त मोबदला घालण्याचा सतत प्रयत्न केला जातो आहे आणि म्हणूच अशी शेतकऱ्यांची/ कामगार क्षेत्रात ज्यांची संख्या ही जवळ जवळ कृषि 50 करोड़ व 50 करोड़ औद्योगिक कामगार क्षेत्रात आहेत ते 100 करोड़ लोकांची ओरड होत आहे आणि तरीही सरकार हे कायदे बळजबरीने लागू करण्याचा मुख्य हेतू दिसून येतो आहे व हा समज सतत असंतोष म्हणून वाढत आहे. दुसरं कारण असं की २०२२ पर्यंत शेतकऱ्यांचे उत्पन्न दुप्पट करण्याचे आश्वासन मोदी सरकारने शेतकऱ्यांना दिले आहे.
 याकरिता शेतमालाला योग्य भाव देऊन शेतमालाची  MSP (न्युन्न्यतम मुल्ल्य )  दुप्पट करण्याची गरज आहे  पण ते करता येत नाही म्हणून MSP च नष्ट करायचा सरकारचा चाणाक्ष हेतू असावा. परंतु MSP नष्ट झाली तर शेतकरी निराधार होऊन ते व्यापारी मंडळी कडून लुटल्या जातील. MSP नष्ट करून सरकार शेतकऱ्यांचे थोडं फार असलेलं संरक्षणच नष्ट करु पाहत आहे. हा शेतकऱ्यांनवर फार मोठा अन्याय आहे.
             सरकारने शेतकऱ्यांच्या दुष्मणाच्या भुमिकेत न राहता मायबापाच्या भुमिकेत असावेत आणि शेतकऱ्यांना व औद्योगिक कामगाराना हे कायदे जर फायद्याचे वाटत नसेल तर ते  त्वरित रद्द करावे ही सरकार ला नम्र प्रार्थना व निवेदन आहे.
धन्यवाद
आपला विश्वासु
प्रकाश पाठक,
राष्ट्रीय महासचिव, 


5 December 2020

A Call to PM from Sr Citizens 🙏A humble request to Shri Narendra Modi, Prime Minister of India

 A Call to PM from Sr Citizens 🙏A humble request to Shri Narendra Modi, Prime Minister of India

 A call to PM from Sr Citizens 🙏


A humble request to Shri Narendra Modi, Prime Minister of India.


Please, don't trouble the Senior Citizens.

At the outset  we wish you success in  your endevaours like "Make in India", " Swatch Bharath" "Digital India" etc.....

1. Request you to pay Interest on SCSS (Senior Citizen Savings Scheme) of all nationalised banks  atleast to 10 percent at par.  Currently it is paid 7.25  percent.

Interest payable quarterly to be paid  monthly. 

Raise the limit from 15 lacs to 30 lacs.

As senior citizens will be able to get Rs 25000 monthly interest as sustainable  income without having to depend on  their children for it. Don't deduct tax on this income or request to fill form 15 H etc.

The period of investment should be for 15 years and not five years

as life expectancy  is 75 and increasing

Pass a resolution to this scheme that the interest rates should never be reduced but increased to fight inflation. 

2. No returns to be filed if the income of an SC  is less than five lacs.

If income exceeds 5 lacs you may tax accordingly as they should not be affected by any political weather. 

3. Provide medicines to senior citizens on submission of Adhar card, a flat 30 percent reduction in the cost of medicines across the country. 

*Similarly for all pathalogy checkups, treatments and operations if any. 

Especially  dental which has become very expensive.*

Even the medical premiums paid may be reduced accordingly. 


After working for three to four decades, where no pension scheme was available, let us have some dignity and live a decent life

We are not asking for the moon.

You may have observed  that now a days parents have become a burden to the children and they leave them to fight their own battles. 

They are career minded and self centered. Senior Citizens are shy to share this fact as they still regard their children however dire their sufferings may be.

We Senior Citizens have elected you with the hope that you would take care of us but you have left us in the lurch. 

Trust you need our votes to continue in power.  Further this will be an important criteria for any government coming in future. Beware the mindset is changing and Senior Citizens are cursing from the bottom of their hearts for the present miserable state of affairs.

This is a humble request and hope good sense will prevail upon you  and you will implement our suggestions as soon as possible to give relief to senior citizens and end their sleepless nights. We have no intention to offend you, we only want to live in peace and with dignity. 


Hope all will agree to this suggestion and keep it in mind before casting their valuable votes rather than living on false promises.

Please forward/share in all groups, friends and relatives, as this gets implemented as  soon as possible. 


With a hope no governments will meddle with senior citizens in future. 

Friends, If you agree please forward this to as many Sr. Citizens group as possible

मैं EPS 95 का मैंबर हूँ, ओर मानता हूँ......

 मैं EPS 95 का मैंबर हूँ, ओर मानता हूँ......



मैं EPS 95 का मैंबर हूँ, ओर मानता हूँ कि उम्र के इस पड़ाव पर भी प्रदर्शन ओर कोर्ट मे लडाइयां लड़कर सभी कोर्ट से हमारे पक्ष मे निर्णय हासिल करने के बावजूद इस गूंगी, बहरी, निर्दयी ओर निष्ठुर सरकार ने अपनी तिकड़मों का उपयोग कर हमारी हायर पेंशन को रोकने का काम किया है। इसलिए मुझमे ओर बहुत से EPS 95 के साथियों मे इस सरकार के प्रति भारी रोष है।
इसलिये मैं ओर मेरे बहुत से EPS 95 के साथी जंहा भी ओर जैसा भी मौका मिलता है वंहा इस सरकार का,इसकी कार्यप्रणाली का ओर इसके ढोंग का विरोध करते हैं ओर जब तक ये सरकार हमारी मांग नही मानेगी हम इसका विरोध हमे हमारे संविधान के तहत मिले अधिकार के तहत करते रहेंगे।
                      हमारे कुछ साथी जो इस सरकार के अंधे समर्थक हैं,वे मेरे व मेरे साथियों द्वारा इस सरकार का विरोध करने को उचित नही मानते वे कृपया बतायें कि इसके अलावा हम इस सरकार पर हमारी मांग पूरी करवाने के लिये किस तरह प्रभावी दबाव बना सकते हैं?          
            
एक तरफ सभी कोर्टों का हमारे पक्ष मे फैसला देने के बावजूद हमारी पेंशन नही बढना वंही दूसरी तरफ हमारी जीविकोपार्जन के दूसरे साधन बैंक ब्याज मे भारी कमी के चलते हमारी स्थिति इतनी विकट हो गई है कि हमारी वृद्धावस्था मे आवश्यक पोषण तो छोड़े हम हमारे जीवन के लिये आवश्यक दवाओं का इंतजाम भी नही कर पा रहे हैं। 
हमारे अथक प्रयासों के बाद कोर्ट का हमारे पक्ष मे निर्णय होने के बाद इस साल अगस्त माह तक हमारे 1,64,000 से ज्यादा साथी उचित पोषण ओर जीवन रक्षक दवाओं के इंतजार मे स्वर्गवासी हो चुके हैं।


3 December 2020

सुप्रीम कोर्ट का फैसला Message to All Pensioners सभी पेंशनरों की जानकारी के लिए

 सुप्रीम कोर्ट का फैसला Message to All Pensioners सभी पेंशनरों की जानकारी के लिए 


*सुप्रीम कोर्ट का फैसला *

सभी पेंशनरों की जानकारी के लिए
प्रिय मित्रों,
यह आश्चर्यजनक है कि 01 सितंबर 2015 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए ऐतिहासिक फैसले, सिविल अपील नं। 2015 में किसी ने भी 112 पर ध्यान नहीं दिया और श्री। आर सेन गुप्ता द्वारा आईबीए को भेजे गए पत्र के अलावा, किसी अन्य संगठन द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई है। निर्णय की मुख्य विशेषताएं:
1- पीठ ने आधिकारिक रूप से फैसला सुनाया कि पेंशन एक अधिकार है और इसका भुगतान सरकार के निर्णय पर निर्भर नहीं करता है। पेंशन नियमों द्वारा शासित होती है और उन नियमों के तहत आने वाले सरकारी कर्मचारी को पेंशन का दावा करने का अधिकार होता है।
2। निर्णय मानता है कि पेंशन की समीक्षा और वेतनमान की समीक्षा अनिवार्य है।

। खंडपीठ ने दोहराया कि संशोधित पूर्व-संशोधित अनुपात में मूल पेंशन न्यूनतम वेतन के मूल वेतन के 50% से कम नहीं हो सकती है।
। सरकार पेंशनभोगियों के कानूनी बकाया को अस्वीकार करने के लिए वित्तीय बोझ नहीं पूछ सकती है।

। सरकार को अनधिकृत मुकदमेबाजी से बचना चाहिए और मुकदमेबाजी के लिए किसी भी मुकदमे को प्रोत्साहित नहीं करना चाहिए।

पेंशन। जबकि पेंशन एक अधिकार और इनाम नहीं है, पेंशन में संशोधन करना और वेतनमान को संशोधित करना अनिवार्य है, यहां तक ​​कि पेंशन का उन्नयन भी एक अधिकार और इनाम नहीं है।
न्यायमूर्ति डीएस इनकार मामले में निर्णय पर आधारित है।

परिणाम बहुत स्पष्ट है और मुझे आश्चर्य है कि महत्वपूर्ण मामलों पर ध्यान नहीं दिया गया और किसी ने इस मामले को सरकार तक क्यों नहीं पहुंचाया।
यह आश्चर्य और आश्चर्य की बात है कि किसी ने इस फैसले पर प्रतिक्रिया क्यों नहीं दी।

* प्रिय पेंशनरों! *

इस संदेश को अपनी संपर्क सूची में कम से कम बीस लोगों को अग्रेषित करें (यहां तक ​​कि भारतीय नागरिक जो पेंशनर नहीं हैं); और सभी को ऐसा करने के लिए कहें।
यह संदेश तीन दिनों में भारत के अधिकांश लोगों तक पहुंचेगा।


 
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