24 November 2021
Ministry of Labour and Employment : Date for Winter Session in Lok Sabha and Rajya Sabha
23 November 2021
Estern India Convention of EPS 95 National Committee (NAC) concluded successfully
Estern India Convention of EPS 95 National Committee (NAC) concluded successfully
EPS 95 राष्ट्रीय संघर्ष समिति(NAC) का पूर्व भारत का अधिवेशन सफलता पूर्वक संपन्न
National Agitation Committee
कोलकाता (पश्चिम बंगाल)
दिनांक -16.11.2021
EPS 95 राष्ट्रीय संघर्ष समिति(NAC) का पूर्व भारत का अधिवेशन सफलता पूर्वक संपन्न
*NAC के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मुख्य मार्गदर्शक मा. अशोक राऊत की केन्द्रीय टीम सहित, पूर्व भारत के राज्यों के शीर्ष नेताओं की रही उपस्थिति.
*उत्तर, दक्षिण, पूर्व व पश्चिम भारत के सभी मुख्य नेताओं की उपस्थिति.
प्रसिद्ध मजदूर नेताओं की भी उपस्थिति व विचार विमर्श.
*मान्यवरों द्वारा दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम की हुई शुरुआत.
*NAC के आंदोलनों/ कोरोना के चलते जिन वीर व वीरांगनाओं ने, भारत वासियों ने अपने प्राण गवां दिए, उन सभी को मौन धारण कर दी गई श्रृद्धांजलि.
*उपस्थिति मान्यवरों का किया आयोजकों ने किया सम्मान.
*श्री तपन दत्ता, मुख्य समन्वयक पूर्व भारत व प्रांतीय अध्यक्ष , पश्चिम बंगाल ने किया प्रस्तावित भाषण व बताया अधिवेशन का उद्देश्य व महत्व.
इसके बाद
संपन्न हुआ EPS 95 पेंशनर्स से संबंधित विभिन्न विषयों पर गहन चर्चा सत्र
*जमशेदपुर (झारखंड)CWC की मीटिंग में लिए गए निर्णयों के विषय में भी हुई विशेष चर्चा.
* अधिवेशन के मुख्य मार्गदर्शक व NAC चीफ मा. कमांडर अशोक राऊत ने
अपने भाषण में NAC पश्चिम बंगाल की टीम के कार्य की प्रसंशा की. आगे उन्होंने कहा कि हमारी मांगो के सदर्भ में हमें मा. प्रधानमंत्री जी पर तो विश्वास है लेकिन हमें व्यवस्था पर विश्वास नहीं है .
21 November 2021
दिल्ली पुलिस ने वृद्ध पेंशनधारियों के साथ की बदसलूकी, श्रम मंत्री और CBT सदस्यों से मिलने की माँग पर किया बल प्रयोग
National Agitation Committee:-
NAC के वीर व वीरांगनाओं द्वारा मौन प्रर्दशन:-
दिल्ली पुलिस ने वृद्ध पेंशनधारियों के साथ की बदसलूकी, श्रम मंत्री और CBT सदस्यों से मिलने की माँग पर किया बल प्रयोग, नहीं दी अनुमति
# बिना नारे लगाए मूक प्रदर्शन
# उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और महाराष्ट्र से NAC के सदस्यों ने भाग लिया।
नई दिल्ली, दिनांक 20.11.2021
राष्ट्रीय आंदोलन समिति (एनएसी) के सदस्यों ने सीबीटी की बैठक में नई दिल्ली में इंडिया हैबिटेट सेंटर में मौन विरोध प्रदर्शन किया.
*एक बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण घटना में, महिला प्रदर्शनकारियों के साथ पुरुष पुलिसकर्मियों ने डराया - धमकाया.
*दिल्ली पुलिस ने विरोध स्थल पर 60 साल से अधिक उम्र की महिलाओं व वृद्धों सहित मूक आंदोलनकारियों को परेशान और डराने-धमकाने का सहारा लिया.
*न्याय की आस में ईपीएस-95 पेंशनभोगियों की बढ़ती मृत्यु दर के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया गया था.
*उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, महाराष्ट्र और दिल्ली सहित लगभग 100 से अधिक वृद्ध पेंशनर्स ने मौन प्रदर्शन कर अपनी भावनाओं को CBT सदस्यों तक पहुंचाने का सफल प्रयोग किया.
*मूक प्रदर्शनकारियों से मीडिया के प्रतिनिधियों जब पूछा तब उन्होंने बताया कि पेंशनर्स CBT अध्यक्ष व सदस्यों को निवेदन देना चाहते थे क्योंकि पेंशनर्स के साथ छल-कपट कर CBT सदस्यों को EPFO गुमराह करने का प्रयास कर रहा है.
एक ओर जहां हर माह 6 करोड़ कर्मचारियों का अंशदान प्राप्त कर ब्याज को अपने पास रखने के बाद भी व पेंशन कोष में 6 लाख करोड़ की राशि होने के बाद भी सरकार से मिनिमम पेंशन के लिए बजटीय सहायता लेकर यह दिखाने की कोशिश करता है कि पेंशन वृद्धि के लिए EPFOपास पैसा नहीं है.
उच्च पेंशन के मामले में उच्चतम न्यायालय के दिनांक 04.10.2016 के निर्णय के आधार पर व EPFO के दिनांक 23.03.2017 के पत्र के बाद भी EPFO पेंशनर्स को उनका हक नहीं दे रहा है और पेंशनर्स को फिर से अदालतों में जाने के लिए मजबूर किया गया है.
EPFO अपने कर्मचारियों को 2000 रुपये मासिक चिकित्सा भत्ता प्रदान कर रहा है लेकिन पेंशनर्स को चिकित्सा सुविधा से वंचित किया जा रहा है.
''भारत सरकार अन्य पेंशन योजनाओं को सुचारू रूप से चला रही है लेकिन ईपीएस 95 पेंशनर्स के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है.इन्हीं सब कारणों से पेंशनर्स में रोष चरम सीमा पर है.
EPS 95 पेंशनर्स को न्याय दिलाने के लिए राष्ट्रीय संघर्ष समिति (NAC) पिछले 5 साल से कमांडर अशोक राऊत के नेतृत्व संघर्ष कर रही है. NAC की चार सूत्रीय मांगों को अभी तक मंजूर नहीं किया गया है, इसीलिए 15.11.2021 को जमशेदपुर की CWC बैठक में मांगों को स्वीकृत कराने के लिए कुछ महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए.उसी के अनुसार आज का शांतिपूर्ण ढंग से मूक प्रर्दशन था.
Silent Agitation by the brave heroes of NAC : silent demonstration conducted without slogans
National Agitation Committee:-
* Silent Agitation by the brave heroes of NAC *:-
* Delhi Police misbehaved with old women pensioners.
They used force while the protesters demanded to meet the Labor Minister and CBT members. Permission not given instead *
# silent demonstration conducted without slogans
# NAC members from Uttarakhand, Uttar Pradesh, Delhi and Maharashtra participated.
New Delhi, dated 20.11.2021
*Members of the National Agitation Committee (NAC) held a silent protest at the CBT meeting at the India Habitat Center in New Delhi.
*In a very unfortunate incident, female protesters were intimidated and by the rude male policemen.
*Delhi Police resorted to harassing and intimidating the silent agitators including women and old people above 60 years of age at the protest site.
*Protest was organized against the rising mortality rate of EPS-95 pensioners in the hope of justice.
* More than 100 old pensioners including Uttar Pradesh, Uttarakhand, Maharashtra and Delhi made an successful attempt to convey their feelings to the CBT members by performing silently.
When the media representatives asked the silent protesters, they told that the pensioners wanted to request the CBT chairman and members because EPFO is trying to mislead the CBT members by cheating the pensioners.
On the one hand, even after receiving the contribution of 6 crore employees every month, keeping the interest with him and having 6 lakh crore in the pension fund, even after taking budgetary support for minimum pension from the government, EPFO tries to show that the he does not have money in pension fund.
Based on the Supreme Court's decision dated 04.10.2016 in the matter of higher pension and even after EPFO's letter dated 23.03.2017, EPFO is not giving pensioners their due. He forced the pensioners to approach the courts again and again.
20 November 2021
EPFO CBT की बैठक में क्या हुआ ? What happened today's CBT Meeting ? EPF | EPS'95 Increase or Not ?
श्रम एवं रोजगार मंत्रालय
ईपीएफओ की शीर्ष निर्णय लेने वाली संस्था सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज की 229वीं बैठक में लिए गए अहम फैसले।
पोस्ट किया गया: 20 नवंबर 2021 अपराह्न 3:00 बजे पीआईबी दिल्ली द्वारा
केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री श्री भूपेंद्र यादव, उप-अध्यक्ष श्री रामेश्वर तेली, मंत्री श्रम एवं रोजगार राज्य, सह-उपाध्यक्ष श्री सुनील बर्थवाल, सचिव (श्रम एवं रोजगार) एवं सदस्य सचिव श्री मुखमीत एस. भाटिया, केंद्रीय पीएफ आयुक्त, ईपीएफओ।
केंद्रीय बोर्ड, ईपीएफ द्वारा निम्नलिखित प्रमुख निर्णय लिए गए: -
(ए) चार उप-समितियों के गठन के अध्यक्ष के सुझाव, जिसमें कर्मचारियों, नियोक्ता पक्ष के साथ-साथ सरकारी पक्ष के प्रतिनिधियों से बोर्ड के सदस्य शामिल हैं, का बोर्ड द्वारा स्वागत और अनुमोदन किया गया। स्थापना से संबंधित मामलों और सामाजिक सुरक्षा संहिता के भविष्य के कार्यान्वयन पर दो समितियों की अध्यक्षता श्रम और रोजगार राज्य मंत्री करेंगे। डिजिटल क्षमता निर्माण और पेंशन संबंधी मुद्दों पर शेष दो समितियों की अध्यक्षता केंद्रीय श्रम और रोजगार सचिव करेंगे।
(बी) वर्ष 2020-21 के लिए ईपीएफओ के कामकाज पर 68वीं वार्षिक रिपोर्ट के मसौदे को केंद्र सरकार के माध्यम से संसद के समक्ष रखने की सिफारिश के साथ अनुमोदित किया गया था।
(सी) सी-डैक द्वारा केंद्रीकृत आईटी-सक्षम सिस्टम के विकास के लिए अनुमोदन प्रदान किया गया था। इसके बाद, क्षेत्रीय कार्यकलाप चरणबद्ध तरीके से एक केंद्रीय डेटाबेस पर चले जाएंगे, जिससे सुचारू संचालन और बेहतर सेवा वितरण संभव हो सकेगा। केंद्रीकृत प्रणाली किसी भी सदस्य के सभी पीएफ खातों के डी-डुप्लीकेशन और विलय की सुविधा प्रदान करेगी। यह नौकरी बदलने पर खाते के हस्तांतरण की आवश्यकता को हटा देगा।
(डी) बोर्ड ने वित्त निवेश और लेखा परीक्षा समिति (एफआईएसी) को मामले-दर-मामला आधार पर निवेश विकल्पों पर निर्णय लेने के लिए सभी ऐसे परिसंपत्ति वर्गों में निवेश के लिए सशक्त बनाने का निर्णय लिया, जो निवेश के पैटर्न में शामिल हैं, जैसा कि अधिसूचित किया गया है। भारत सरकार।
बैठक के दौरान, अध्यक्ष, सीबीटी ने 'कोविड को प्रतिक्रिया - 2.0' शीर्षक से एक पुस्तिका का विमोचन किया। यह पुस्तिका कोविड-19 महामारी के कठिन समय के दौरान अपने हितधारकों को नवाचार करने और निर्बाध सेवाएं प्रदान करने के लिए ईपीएफओ की तैयारियों को समाहित करने का एक प्रयास है। पुस्तिका श्रृंखला में दूसरी है, पहला संस्करण मार्च 2021 में श्रीनगर में आयोजित 228वीं सीबीटी बैठक में जारी किया गया था।
अध्यक्ष, सीबीटी ने 'निर्बाध: निर्बाध सेवा वितरण' शीर्षक से एक और पुस्तिका जारी की। यह पुस्तिका पिछले तीन वर्षों में 'ईपीएफओ से ई-ईपीएफओ' में सफल डिजिटल परिवर्तन की दिशा में ईपीएफओ द्वारा अपनाई गई पहल और रणनीतियों का संकलन है। इन प्रयासों ने ईपीएफओ को डिजिटल रूप से कागज रहित संगठन की ओर बढ़ने में सक्षम बनाया है, जिससे इसके सभी हितधारकों के लिए जीवन आसान हो गया है।
बैठक में नियोक्ता, कर्मचारी और केंद्र सरकार, राज्य सरकार और ईपीएफओ के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे.
मा.पंतप्रधानजी द्वारा कृषि कानून वापस लेने के निर्णय का स्वागत ,धन्यवाद एवं हार्दिक अभिनंदन,लहर ६७ लाख ई पी एस ९५ निवृत्ति धारकों को रू ९०००/- + महंगाई भत्ता
प्रति,
मा.श्री नरेन्द्रजी मोदी,
पंतप्रधान ,भारत,
पंतप्रधान कार्यालय,
नई दिल्ली.
विषय — मा.पंतप्रधानजी द्वारा कृषि कानून वापस लेने के निर्णय का स्वागत ,धन्यवाद एवं हार्दिक अभिनंदन करते हुये, देशमे जो आनन्द की लहर है वह लहर ६७ लाख ई पी एस ९५ निवृत्ति धारकों को रू ९०००/- + महंगाई भत्ता के साथ क़ानून में दुरुस्ती करके १८७ औद्योगिक असंगठित २० करोड़ कामगारोंको भी राहत देकर जीवन आनंदमय करे यह नम्र निवेदन।
महोदय
उपरोक्त विषय को लेकर निवृत कर्मचारी(१९९५) राष्ट्रीय समन्वय समिती,मुख्यालय नागपुर की औरसे आपने जो ३ कृषि क़ानून वापस लेकर जिस प्रकार आनंद की लहर लाई है, वह बहुत हि प्रशंसनीय है इस कारण वश हम देशके ६७ लाख निवृत्ति धारक एवं १८७ औद्योगिक असंघटित कामगार करिब करिब जो २० करोड़ है और उनके ५० करोड़ पारिवारिक सदस्य है, वह सब आपका और केंद्र सरकारका हार्दिक अभिनंदन एवं धन्यवाद करते है .
वह कृपया आप स्वीकृत कीजिये यह नम्र प्रार्थना एवं बिंनती उसी प्रकार ई पी एस ९५ के लिये आपके द्वारा और बी जे पी द्वारा प्रयास किये जाने के बाद जो सन २०१३ को मा भगतसिंग कोशियारी कमेटी का अहवाल क़ानून सुधार के लिये राज्य सभा में है वह पूरी तरह लागू करके ₹ ९०००/-+ आजके महंगाई कि और देखकर महंगाई भत्तेके साथ केन्द्रिय संघटित कामगारों की तरह हमें भी थकबकि के साथ लागू करके हमें भी आनन्दमय जीवन जीने का हक प्रदान करे यह सेवा मे नम्र निवेदन ।
आशा है कि आपकी सरकार ,हमारी सभिकी लोकप्रिय सरकार सबका साथ ,सबका विचार सबका विकास के उद्देशों की द्वारा काम करनेवाली सरकार है, इस संघ्या में हमारा भी अंतर्भाव हो और हमें भी आनंदमय जिवन देनेका प्रयास करेंगे ।
धन्यवाद
आपक़ा सस्नेहि,
प्रकाश पाठक,
निवृत्त कर्मचारी(१९९५)राष्ट्रीय समन्वय समिती ,रजिस्टर संघटन,
वामनराव लेन, सिताबरडी ,नागपुर ४४००१२,
महाराष्ट्र.
प्रतिलिपि मालूमात एवम संसद सदन में दिनांक २९/११/२०२१मे बजेट प्रावधान करने हेतु सी बी टी के सभी पदाधिकारी योंको दिनांक २०/११/२०२१ विचारविनिमय हेतु सभी सेवामे सविनय नम्र निवेदन.
धन्यवाद
प्रकाश पाठक,
राष्ट्रीय महासचिव, पंजी कृत संघटन,नागपूर
Ministry of Labour & Employment Key decisions taken at the 229th meeting of Central Board of Trustees (CBT)
EPFO 68th Annual Report 2020-2021 - Download Here !
The framework of social security is an important cornerstone of any modern society. It assures individuals that the society will look after their interest against vagaries of life. The International Labour Organisation (ILO) defines social security as a protection provided to individuals and households by the society to ensure access to health care and to guarantee income security post retirement, unemployment, sickness, invalidity, work injury, maternity or untimely demise.
As a basic human right defined in UN instruments, it is widely considered as instrumental in a healthy, positive and productive society. In India, the social security legislations derive their strength and spirit from the Directive Principles of the State Policy of the Constitution. Article 41 of the Constitution requires that the State shall, within the limits of its economic capacity and development, make effective provision for securing the right to work, to education and to public assistance in cases of unemployment, old age, sickness and disablement, and in other cases of undeserved want. Furthermore, Article 42 expands the obligations to make provision for securing just and humane conditions of work and for maternity relief.
Article 47 requires that the State should raise the level of nutrition and the standard of living of its people and improve public health as among its primary duties. These, thus, are the basic frameworks of Social Security provisioning for the citizenry in the country. Social Security in India was traditionally the responsibility of the family/community when the economy was still localised. However, first with gradual industrialisation post-independence, followed by a more rapid globalisation process and liberalised economy after 1991, the bonds within the community weakened and joint families fragmented into nuclear ones. This has necessitated an institutionalized response in the shape of state-cum-society regulated social security arrangement.
19 November 2021
Agenda Item No. 7 of the 229th Meeting of CBT to be held on 20.11.2021 : Supreme Court on Higher Pension Cases
Relevant Agenda Item No. 7 of the 229th Meeting of CBT to be held on 20.11.2021 - Status Note on litigations in Hon’ble Supreme Court on Higher Pension Cases.
1. In the last agenda placed before CBT, it was informed that “SLP No 8658‐8659 of 2019 was filed by EPFO against judgment dated 12.10.2018 of Hon’ble Kerala High Court in WP ©️ No 13120 of 2015 which set aside the 2014 amendments to the Employees’ Pension Scheme 1995. The Hon’ble Supreme Court vide its order dated 01.04.2019 dismissed the SLP filed by EPFO in limine.
2. EPFO preferred a Review Petition No 1430‐1431 of 2019 before Hon’ble Supreme Court against the order dated 01.04.2019 vide which the SLP was dismissed.
3. Union of India separately challenged the judgment dated 12.10.2018 of Hon’ble Kerala High Court in WP ©️ No 13120 of 2015 by way of SLP No 16721‐16722 of 2019 Union of India Vs Sunil Kumar B.
4. Vide order dated 12.07.2019, Hon’ble Supreme Court directed the Review Petition of EPFO and SLP of Union of India to be listed in open court.
5. Vide order dated 06.02.2020, Hon’ble Supreme Court further directed Contempt Petition No. 1917‐1918 in C.A. No 10013‐10014 of 2016 HPTDC Employees Union Vs Sunil Barthwal along with 42 Writ Petitions to be listed with Review Petition and SLP of Union of India.
6. Meanwhile, Hon’ble Kerala High Court taking note of submissions made by EPFO, observed that impugned judgment dated 12.10.2018 in P Sasikumar Vs Union of India suffers from incorrect application of legal principles and directed, vide its order dated 21.12.2020, to refer the matter to a full bench for re‐consideration.
EPS 95 राष्ट्रीय संघर्ष समिति(NAC) की सेंट्रल वर्किंग कमिटी की बैठक सफलता पूर्वक संपन्न
जमशेदपुर (झारखंड)
दिनांक -15.11.2021
EPS 95 राष्ट्रीय संघर्ष समिति(NAC) की सेंट्रल वर्किंग कमिटी की बैठक सफलता पूर्वक संपन्न
*NAC के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मुख्य मार्गदर्शक मा. अशोक राऊत की केन्द्रीय टीम सहित, राज्यों के शीर्ष नेताओं की रही उपस्थिति.
*उत्तर, दक्षिण, पूर्व व पश्चिम भारत के सभी मुख्य समन्वयकों की उपस्थिति.
*उद्योग नगरी के प्रसिद्ध मजदूर नेताओं की कार्यक्रम के उद्घाटन के समय उपस्थिति व विचार विमर्श.
*NAC झारखंड के प्रांतीय अध्यक्ष मा. श्री रघुनाथ पाण्डेय जी की अध्यक्षता में हुआ कार्यक्रम संपन्न.
*मान्यवरों द्वारा दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम की हुई शुरुआत.
*NAC के आंदोलनों/ कोरोना के चलते जिन वीर व वीरांगनाओं ने, भारत वासियों ने अपने प्राण गवां दिए, उन सभी को मौन धारण कर दी गई श्रृद्धांजलि.
*उपस्थिति मान्यवरों का किया आयोजकों ने किया सम्मान.
*प्रसिद्ध मजदूर नेता श्री कमल किशोर जी अग्रवाल ने किया स्वागत पर भाषण.
*कार्यक्रम के आयोजक व प्रांतीय अध्यक्ष मा. श्री रघुनाथ पाण्डेय ने किया प्रस्तावित भाषण व बताया CWC बैठक का उद्देश्य व महत्व.
इसके बाद
संपन्न हुआ EPS 95 पेंशनर्स से संबंधित विभिन्न विषयों पर गहन चर्चा सत्र
*EPS 95पेंशनर्स की बढ़ती हुई मृत्यु दर ,अत्यल्प पेंशन राशि , उच्च पेंशन के मामले में EPFO के स्वयं पत्र 23.03.2017 के बाद भी EPFO की पेंशनर्स के विरोध में कुटिल व क्रूर नीति, पेंशनर्स को किसी भी प्रकार की मेडिकल सुविधा का न होना व EPS 95 पेंशनर्स के प्रति सरकार का सौतेला व्यवहार व आश्वासनों के बाद भी उसकी पूर्ति न होना आदि विषयों पर हुई गहन चर्चा.
18 November 2021
ईपीएफ पेंशनभोगियों को सम्मान के साथ जीने का मौका दिया जाए ! मानवाधिकारों का उल्लंघन
(कृपया इसे बहुत ध्यान से पढ़ें, तभी जब आप इत्मीनान से हों।)
(कृपया इसे बहुत ध्यान से पढ़ें, तभी जब आप इत्मीनान से हों।)
श्री एन.के.प्रेमचंद्रन, लोकसभा सांसद द्वारा लिखित एक मलयालम लेख के प्रासंगिक अंशों का अंग्रेजी में अनुवाद करने के लिए मुझे कष्ट हुआ, जो मलयाला मनोरमा दैनिक डीटी में प्रकाशित हुआ था। 15 नवंबर, 2021 क्योंकि यह पाठक को ईपीएस-95 संबंधित मुद्दों की एक संक्षिप्त तस्वीर देता है। संयोग से, श्री प्रेमा चंद्रन का नाम मुद्दों से लड़ने और कार्यकर्ताओं के हितों के लिए निष्पक्ष रूप से और उनकी योग्यता के आधार पर दलगत राजनीति या किसी अन्य विचार के बिना काम करने में है। वह एक मजबूत कर्मचारी हितैषी सांसद हैं। उपरोक्त कारणों से, नीचे दिए गए अनुवाद को करने में मुझे कष्ट हुआ और चूंकि यह एक राजनीतिक लेख नहीं है।
ईपीएफ पेंशन पर केंद्र का रुख - मानवाधिकारों का उल्लंघन
कर्मचारी भविष्य निधि अधिनियम 1952 और कर्मचारी पेंशन योजना 1995 देश में मजदूर वर्ग के कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए पेश किए गए थे। पेंशन योजना पेश करते हुए तत्कालीन श्रम मंत्री जी वेंकटस्वामी ने घोषणा की कि इस योजना को हर दस साल में संशोधित किया जाएगा और अधिक लाभ की गारंटी दी जाएगी।
हालांकि, ईपीएफ पेंशनभोगियों के प्रति केंद्र सरकार का रवैया कानून के उद्देश्यों के खिलाफ है। संसद द्वारा पारित कानून के प्रावधानों को लागू करना सरकार की जिम्मेदारी है। सरकार ने इन शर्तों का उल्लंघन किया है। इसके खिलाफ मजदूरों ने अदालत का दरवाजा खटखटाया और अदालत ने पेंशनभोगियों के अधिकारों की स्थापना की। देश के विभिन्न उच्च न्यायालयों और सर्वोच्च न्यायालय ने श्रमिकों और पेंशनभोगियों के पक्ष में फैसला सुनाया है। शीर्ष अदालत ने फैसले के खिलाफ कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) द्वारा दायर एक विशेष याचिका को भी खारिज कर दिया।
केरल हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट ने लंबी कानूनी लड़ाई के बाद उनके पक्ष में फैसला सुनाया तो श्रमिकों और पेंशनभोगियों को राहत मिली। लेकिन केंद्र सरकार ने उन्हें इंसाफ देने से इनकार कर दिया है. सरकार ने श्रमिकों और पेंशनभोगियों के खिलाफ अप्रत्यक्ष युद्ध की घोषणा की।
ईपीएफओ की अपील खारिज होने के बाद केंद्र सरकार ने सीधे सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने का फैसला किया। यह कदम प्रतिक्रियावादी निजी प्रबंधन के लिए भी शर्मनाक है। सरकार अच्छी तरह से जानती है कि अगर मामले की सुनवाई होती है और फैसला सुनाया जाता है, तो पेंशनभोगियों को वास्तविक वेतन के आधार पर अधिक पेंशन का भुगतान करना होगा। केंद्र सरकार अभी जो मांग कर रही है वह एक ऐसा समाधान है जिसके बारे में भारतीय न्यायिक प्रणाली में सुना तक नहीं जाता है।