दोस्तों ! सुझाओ तो बहुत है कुछ को हमने यह शामिल किया है। आप इन्हे पढ़िए और शेयर करे।
पेंशनर्स (डीडी शर्मा जी ) : मेरे विचार में हेमा जी के जरिये एक बार फिर से माननीय प्रधान मन्त्री जी को मिला जाये । अन्यथा जंतर मंतर पर धरना संसद सत्र के समय किया जाए व मीडिया से सम्पर्क करके आवाज उठानी चाहिए ।
पेंशनर्स (टी क मजूमदार जी ) : All state BODY meet one place & STATE PRESIDENT call every pensioner to discuss with problem & give suggestion to President it is better introduction to each other.
पेंशनर्स (बसवराज जी) : 7500 +DA, और मेडीकल देना, नहीतो सोयम इछासे मरनेको इजाजत मंगना Pradanmantri office के सामने उपासा अंदोलन चालू करना भूके मरनेसेबी वंही मरना भेतर होगा MA, pradhanmantri shree Narendr. D Modiji ka Atmako shanti milega नमस्कार .
पेंशनर्स ( पन्ना जी) :आदरणीय अध्यक्ष महोदय ईपीएस संशोधन आन्दोलन की सफलता के लिये मेरे जैसे अज्ञानी एवं नासमझ n a c सी के एक से बच कर एक परम अनुभवी नेतृत्व क्षमता वाले बुद्धिजनोँ को सलाह देना उनका उपहास उगाने जैसा है। जिस नेतृत्व ने पूरे देश के गाँव गाँव के उपवास पेँशनरोँ को एक माला मे पिरो कर एक अति दुरूह कार्य को सँभव किया है उसे सलाह देना क्या उचित होगा। फिर भी विचार विमर्श के दौरान मात्र अपने विचार प्रस्तुत करना अनुचित की श्रेणी में नही आता। अतः मैं पन्ना जी श्रीवास्तव ईपीएस पेँशनर एवं n a c का सिपाही अपने अल्प ज्ञान से अपनी स्वार्थ पूर्ति अर्थात ईपीएस संशोधन हेतु विचार प्रस्तुत कर रहा हूँ। हम मात्र हेमा जी से ही अपेक्षा क्योँकरे। यदि उन्हें भी टाल मटोल का शिकार बनाया गया तो फिर क्या होगा। हमारे इतने सारे सांसद क्या मात्र दिखाने के लिये हैं। उनका हमारी समस्या को सुलझाना फर्क नही बनता। क्या ऐसा करना उनका हम पर उपकार होगा। हम सभी को चाहिए कि अपने क्षेत्र के प्रत्येक सांसद को हेमा जी का उदाहरण दे कर मजबूर करे कि वह भी प्रधान मंत्री से हमारी समस्या के निदान के लिये सम्पर्क करे। साथ ही हम सब भी नकारात्मक एवं निष्क्रीय पेँशनरोँ को सक्रीय करने का सार्थक प्रयास करे। यह कैसीविडम्बना हैकिहमारे आन्दोलन का शीर्ष नेतृत्व किसी से धन नही माँग रहा है अरे धन तो वो अपना लगा रहा है हमारा नेतृत्व हम सभी से मात्र हमारा तन और मन माँग रहा है पर हम इतने अधिक स्वार्थी तथा निकृष्ट हो गये हैं कि हम उसे भी देने को तैयार नही है बस मुँह बाये फल की प्रतीक्षा कर रहे हैं। यह कितने शर्म की बात है। अन्त मे मेरा यही विचार है तथा जिसे मै कर रहा हूँ कि हम अपने क्षेत्र के साँसदोँ को विवश करे कि वे भी सक्रियता से पहल ही न करे वरन प्रयास रत रहे तथा हम भी पूर्ण सक्रीय होकर उनसे पल पल की सूचना निसंकोच प्राप्त करते रहे। अन्त मेंँ ईपीएस 95 पेँशनर एकता अमर रहे। हमारा शीर्ष नेतृत्व जिन्दाबाद। पन्ना जी श्रीवास्तव प्रान्तीय कोआर्डिनेटर पूर्वी क्षेत्र प्रयाग राज।
पेंशनर्स (उमेश जी ) : सर , आंदोलन अब बार बार न ही एकही बार पुरे जोश के साथ ६५ लाख pensionar मे से कमसे कम १० टक्का भी एक साथ जमा हुये तो भी आंदोलन सक्सेस होता हैं हम तैयार हैं .
पेंशनर्स (सुदर्शन जी ) :व्यक्तिगत तौर पे मुझे लगता है माननीय कमांडर अशोक राउत सर और माननीय श्रीमती हेमामालिनीजी मैडम आप दोनों ख़ास तौर पे पी.एम.ओ में मोदीजी से एक और मीटिंग आयोजित करवाले तो माननीय श्रम मंत्री संतोष गंगवारजी आप ४ जन स्पष्ट रूप से वार्तालाप करोगे तो निर्णय अतिशीघ्र लग जाएगा.
अगर प्लेन्स बंद है तो भी सरकार माननीय कमांडर अशोक राउत सर और माननीय श्रीमती हेमा मालिनीजी मैडम के लिए ख़ास प्लेन का बन्दोबस्त करे. क्योंकि मोदीजी ने आदेश दिए थे प्राथमिकता का जिक्र भी किया पर अभी तक परिणाम शून्य है तो यह उन्ही की जुम्मेवारी बनती है इस मसले को अभी तो प्राथमिकता दी जाए. नोटबंदी केवल मात्र ४ घंटो में हो सकती है, पुरे देश में लॉकडाउन केवल मात्र ४ घंटो में हो सकता है तो फिर गरीब पेंशनर्स को इतना क्यूँ तरसाया जा रहा है??
और कितने आंदोलन सरकार चाहती है?
कितने पेंशनर्स परलोग चल दिए?
कितने पेंशनर्स घर से बाहर तक निकल नही सकते?
और नैक कमिटी का इतना बड़ा संघर्ष सरकार को कोई मायने नही रखता?
अगर सरकार की इच्छाशक्ति नही है तो साफ़ के क्योंकि लोगों को आझादी में भी शोषण से गुजरना पड़ रहा है इसका मतलब सरकार का अपने जनता से कोई नाता नही.